पापान्निवारयति योजयते हिताय
गुह्यं निगूहति गुणान् प्रकटीकरोति ।
आपद्गतं च न जहाति ददाति काले
सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः ॥
जो पाप से रोकता है, हित में जोडता है, गुप्त बात गुप्त रखता है, गुणों को प्रकट करता है, आपत्ति आने पर छोडता नहीं, समय आने पर देता है - संत पुरुष इन्हीं को सन्मित्र के लक्षण कहते हैं ।
भर्तृहरि नीतिशतक..
- डॉ. दिलीप कुमार पारीक
4 AUG 2019 AT 18:28