दिलीप कश्यप   (दिलीप कश्यप (क़लमकार))
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Joined 9 October 2018


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Joined 9 October 2018
23 JAN 2022 AT 18:13


पति वियोग की दशा में स्त्री तपस्विनी हो जाती है, उसकी वासनाओं का अन्त हो जाता है।
'शाप'
(मुंशी प्रेमचंद)

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श्री राम सेवा मिशन द्वारा आयोजित काव्यांजलि कार्यक्रम से पूर्व सम्मानित करतें अतिथिगण ।

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आजतक टीवी चैनल पर चुनावी मुद्दे पर काव्यपाठ करते हुए

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दीनता मलीनता का त्याग कर दीजिए,
औ एक नाम अपना भी ऐसा तो बनाइये ।
त्याग लोभ,मोह,माया साधना में रहो लीन,
कर्म ही है पूजा सिध्द करके दिखाइए ।
रहे राष्ट्र भक्ति का विचार,मन हो स्वतंत्र,
लेखनी को ऐसी गति देकर चलाइए ।
यश कीर्ति वैभव की प्राप्ति हो निरन्तर,
नवीन वर्ष आप खूब हर्ष से मनाइए ।

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जब संसार की असारता कठोर सत्य बनकर आँखों के सामने खड़ी हो जाती है, तो जो कुछ न किया, उसका खेद और जो कुछ किया, उस पर पश्चाताप मन को उदार और निष्कपट बना देता है।
'मृतक का भोज'
(मुंशी प्रेमचंद)




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काव्यगोष्ठी

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प्रेम-विहीन संसार में कौन है? प्रेम मानव-जीवन का श्रेष्ठ अंग है। यदि ईश्वर की ईश्वरता कहीं देखने में आती है, तो वह केवल प्रेम में।
'आगा-पीछा'
(मुंशी प्रेमचंद)



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13 DEC 2021 AT 21:41



मनुष्य जिस काम को हृदय से बुरा नहीं समझता, उसके कुपरिणाम का भय एक गौरवपूर्ण धैर्य की शरण लिया करता है।
'प्रेमाश्रम'
(मुंशी प्रेमचंद)


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मनुष्य के जीवन मे एक अवसर ऐसा भी आता है,जब परिणाम की उसे चिंता नहीं रहती।
'तगादा'
(मुंशी प्रेमचंद)

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हर एक मनुष्य को उन विषयों ने ज्यादा स्वाधीनता होनी चाहिए जिनका उससे सम्बन्ध है।
'प्रेरणा'
(मुंशी प्रेमचंद)

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