पति वियोग की दशा में स्त्री तपस्विनी हो जाती है, उसकी वासनाओं का अन्त हो जाता है।
'शाप'
(मुंशी प्रेमचंद)
-
महान कहानीकार एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद पर शोध ।
जिलाध्... read more
श्री राम सेवा मिशन द्वारा आयोजित काव्यांजलि कार्यक्रम से पूर्व सम्मानित करतें अतिथिगण ।
-
दीनता मलीनता का त्याग कर दीजिए,
औ एक नाम अपना भी ऐसा तो बनाइये ।
त्याग लोभ,मोह,माया साधना में रहो लीन,
कर्म ही है पूजा सिध्द करके दिखाइए ।
रहे राष्ट्र भक्ति का विचार,मन हो स्वतंत्र,
लेखनी को ऐसी गति देकर चलाइए ।
यश कीर्ति वैभव की प्राप्ति हो निरन्तर,
नवीन वर्ष आप खूब हर्ष से मनाइए ।-
जब संसार की असारता कठोर सत्य बनकर आँखों के सामने खड़ी हो जाती है, तो जो कुछ न किया, उसका खेद और जो कुछ किया, उस पर पश्चाताप मन को उदार और निष्कपट बना देता है।
'मृतक का भोज'
(मुंशी प्रेमचंद)
-
प्रेम-विहीन संसार में कौन है? प्रेम मानव-जीवन का श्रेष्ठ अंग है। यदि ईश्वर की ईश्वरता कहीं देखने में आती है, तो वह केवल प्रेम में।
'आगा-पीछा'
(मुंशी प्रेमचंद)
-
मनुष्य जिस काम को हृदय से बुरा नहीं समझता, उसके कुपरिणाम का भय एक गौरवपूर्ण धैर्य की शरण लिया करता है।
'प्रेमाश्रम'
(मुंशी प्रेमचंद)
-
मनुष्य के जीवन मे एक अवसर ऐसा भी आता है,जब परिणाम की उसे चिंता नहीं रहती।
'तगादा'
(मुंशी प्रेमचंद)-
हर एक मनुष्य को उन विषयों ने ज्यादा स्वाधीनता होनी चाहिए जिनका उससे सम्बन्ध है।
'प्रेरणा'
(मुंशी प्रेमचंद)
-