dilfake ashik  
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Joined 16 July 2019


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1 APR 2021 AT 17:55

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29 MAR 2021 AT 18:33

खुद की यादों में उसकी यादों को अब तलक‌ याद रखा हैं।।
ना सुना कभी किसी की हां मगर उसकी हर बात रखा हैं।।
इश्क-ए-वफाई में बेवफा कहूं जो उसे गर कहूं कैसे कोई बता दे
हमसफर ना सही हमसाया बनाकर उसने मुझे अपने साथ रखा। हैं।।

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11 MAR 2021 AT 17:05

करारी-बेकरारी में हम,, इस क‌द्र छा गए।।
सोचा और ना समझा,, सीधे उसे हाथ लगा गये।।
क्या बयान-ए-बाजी करूं,, उस परी-ए-हुस्न का
बस इतना समझो,, एक छुअन में! हमें अपना बना गये।।

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27 FEB 2021 AT 17:05

मत पूछो यारो❤

कल कैसे ! उस परी ने खुद को आईने में संवारा था।
शर्म के बंधे पर्दे,, मैंने खुद की आंखों से उतारा था।
तस्वीर में ही सही ! माथे को चुम कर दिल भरा नहीं था मेरा
आंखों तलक तस्वीर रखकर उसकी,,, मैंने सारी रात गुजारा था।।

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15 JUN 2020 AT 16:25

तुझसे जुड़ी हर एक एहसास! बा-खुदा! दिल से उतारा नहीं जाएगा।
बेबस,, बेकरार इन आंखों से,, किसी और को संवारा नहीं जाएगा।
लाख बहाने बनाता हूं! इस दिल से दरकिनार करे,, तेरी यादों को
बयान-ए-दिल! एक पल भी तेरी यादों के बिन गुजारा नहीं जाएगा।।

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5 JUN 2020 AT 15:59

चाहता हूं मगर! ना कभी,, उसको पास बुला लेता हूं।
खुले आंखों के ख्वाब के सहारे,, सीने से लगा लेता हूं।
मेरी मोहब्बत को मेरी जरूरत ना समझ बैठे! वो पगली
तो क्या? लबो को छोड़,, माथे को चूम कर चला लेता हूं।।

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20 MAY 2020 AT 17:02

नम आँखें देख, लगा! उनसे बताया नहीं जायेगा।
दिली मोहब्बत जो हैं, बोली! अब निभाया नही जायेगा।
नफरत करूं तो करूं कैसे! हाँ पर सुनकर गुस्सा तो हुँ।
कैसे कहूँ ,,चाहकर भी मुझसे नजरे मिलाया नही जायेगा।


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8 MAY 2020 AT 16:54

बेताबी-ए-मिलन की इंतिहा इतनी,,हर वक्त मेरा! उस पे ही निसार होगा
हो ना हो इश्क-ए-मुरीद दिल उसका,,हाल-ए-दिल मेरा! उससे ही प्यार होगा
राह तकता बेशक हूं मैं! यार-ए-उल्फत में,,,क्या कहा! पागल हूं ? नहीं नहीं
बे-खबर यार हैं! इल्म-ए-इश्क-ए-हकीकी होने तो दो ,, उसे भी मेरा इंतिजार होगा।

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28 APR 2020 AT 16:03

ओढ़ रखा था चादर-ए-उल्फत तेरी,,थोडा़ हटाकर जाते,,,,
जो अगर जाना ही था जानेजाँ,,जरा बताकर जाते,,,

क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में,, की तू सितमगर हैं,,,
जो गर ना होती! हालात-ऐ-बेबसी देख,,गले से लगाकर जाते।।

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21 APR 2020 AT 17:05

जोर था,, "मेरा नहीं",, मेरे दिल पर ! अगर होता।
दिल ! दिल होता है,, दिल ! दिल- ए-नादान ना होता।
कुछ तो दिली जुड़ाव है तुझसे! अफसोस तु मुस्तकबिल नहीं।
जो गर होती।। जुबां,, जुबां होता! मैं बे-जुबां ना होता।

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