अब तेरे बिना हम भी नही है।
जो कभी किसी के बारे सोचा तक नही
आज तेरे वजूद है तो हम है
कल अपनी ही बजूद की पता तक नही।
-
Net qualified......😊😊
मेरा q... read more
बारिशों के हर बून्द में अब तू ही दिखती है
कदम इसलिए बहक जाते है इन बारिशो में-
मैने बताया नही किसी को तेरे बारे में
दुनिया वाले अब उदासी भी पढ़ लेते है-
मुझे पत्ते सा स्थिर हुए अरसा हो गया
तुम हवा बनकर न गुजरी इधर से कभी।।
-
बडा अजीब है जिंदगी
बड़ा परेशान हूँ मैं भी
जिसको बहुत जानता था
वही अनजान निकली है-
अपनी खुदगर्जी को तुम
वफ़ा का नाम मत दो यूँ
मेरा प्यार कैसा था
तेरा दिल भी जानता है
(अनुशीर्षक में पढें)-
तेरा जिक्र मैं किस से करूँ
तू तो बस मेरी सांसो में
तेरी बात मैं किस से करूँ
तू तो बस मेरी यादों में
पल में करता हू याद तुझे
दूसरे पल और गहराई में
पैमाना नही इश्क मापन का
(अनुशीर्षक में पढ़े)
-
आप कुछ दिन पहले मिले दिल के पास आ गए
ऐसा दोस्त सबको मिल जाए ये जरूरी तो नही
सुबह के चाय के चुस्कियो के है दीवाने बहुत
सब को मिल जाय हर सुबह ये जरुरी तो नही
(अनुशीर्षक में पढ़ें)
-
मजदूर हैं हम साहब!
मज़दूरी मेरा काम सही
अनुशीर्षक में पढ़ें पूरी कविता....।-
प्रकृति है सर्व-शक्तिमान
इसे कभी तुम आकों मत
फिर शक्तिशाली बनने का
व्यर्थ गुरुर कभी पालो मत
नियति को छेड़ो मत उतना
सहन न कर पाए ओ जितना
यथा कामायनी का देव सभ्यता
देव लीन थे भोग-विलास में
प्रकृति को जब समझा था तुक्ष्य
जल-प्रलय द्वारा जब नियति
खत्म किया था उनका गुरुर
प्रकृति से आँख मिचौली का
देवों को मिला था कठोर दण्ड
तुम तो केवल मनुष्य मात्र!
अस्तित्व पर जो कर रहे गुरुर
प्रकृति का तुच्छय वायरस
चटा रहा है पग की धूल
सम्भलने का अभी है समय
देखा नही प्रकृति का रौद्र रूप
फिर वैसा ही प्रलय आयेगा
देवो जैसा ही मानुष सभ्यता
का आस्तित्व मिट जायेगा।।
-