जरा कसकर पकड़ लो हथेली को मेरी
लकीरों को अच्छा लगेगा..लकीरों से मिलना...!!-
अगर ज़ुबां से बयां करना पड़े तो
तौहीन ए मोहब्बत होगी....
मेहबूब का मतलब है कि निगाहों को पढ़ ले..!!-
कभी कभी मेरे पास न लफ्ज़ होते हैं
न बातें और न ही तो शिकायतें
बस एक आरज़ू रहती है...
उनके सीने से लग कर उनकी धड़कने सुनूं..!!
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वैसे तो...
बीता हुआ वक़्त कभी लौट कर नहीं आता
लेकिन फिर भी..
वह कभी कभी जीवित हो उठता है
जब हम उनकी यादों के बहुत करीब होते हैं..!!-
अल्फाज़ हमारे हैं
लेकिन जिक्र...
ज़िक्र तो हमेशा उनका ही रहता है...!!-
हो जायेगी कभी मुलाकात भी आपसे
फिरहाल तो आप नज़रों से दूर हैं...दिल से नहीं...!!-
खोना मत किसी के बहकावे में आकर
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं सीने से लगाने वाले..!!-
ख्वाबों में आकर ऐसे गले मत लगाया करो
फिर पूरा दिन लत लगी रहती है आपके गले लग जाने की..!!-
वो न मिले तो शिद्दत से ये ख्याल आने लगा
हाय उन लोगों की तकलीफ जिन्हें हम न मिले..!!-