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सोचो..कितना शिद्दत से पढ़ा है मैंने तुम्हें..... read more
हे_प्राणेश्वरीमनमोहनीजीवनसंगिनीअर्धांगिनी
अब जब मै तुमसे मिलने आऊंगा
तुम्हारे लिए मै पायल ले आऊंगा
एक तुम्हे पहनाऊंगा दुजी संग ले जाऊँगा
पायल पहन तुम्हारा छमछम कर
पैर ज़मी पर रखना,
मेरी धङकनो का तेज हो जाना,,
मेरा तुम्हारी पायल को चुमना
जेसे मेरे कांपते लबो पर
तुम्हारी गर्म सांसो का होना,,
प्राणेश्वरी अब जब तुमसे मिलने आऊंगा
तुम्हारे लिए मै पायल जरुर ले आऊंगा...!!!! ❤❤️-
मैं चाहता हूं
तुम्हारे हाथों में कंगन बनके,
तुम्हारे इशारों पर खनकना जाता हूँ।।
तुम्हारी रातों का ख्वाब बनके,
उसे सच करना चाहता हूं।।
तुम्हारे जहम में ख्याल बनके,
तुम्हें रात भर जगाना चाहता हूं।।
मैं तुम्हारे लिए सब कुछ करना चाहता हूं!
मैं तुम्हें चाहता हूं।।-
सुनो छुपा कर रख रहा हूं
अपने तकिये के नीचे
तुम्हारे आँखों की शरारत
तुम्हारी मनमोहक महक
तुम्हारी बाँहों की गर्मी और
तुम्हारे हाथों की छुअन
तुम्हारे होठों की मादकता
शर्मीली रातों के अँधेरे में
चुपके से आँख खोलकर
शरारत की एक चमक
देखी थी तुम्हारे चेहरे पर
उसे भी छुपा रहा हूं
अपने तकिये के नीचे
और तुम्हारी वो गर्म साँस
और दरदरी नशीली आवाज़
वो रातों की खुमारी ,
सब छुपा दिया है
इसी तकिये के नीचे।
सुनो जब रात तन्हा हो
और तुम तन्हा किसी दिन
तब निकाल लेना
मेरे तकिये के नीचे से
प्रेम के उन लहकते लम्हों को
फिर जी लेना एक बार मुझे ,,,,खुद में।
जानते हो तुम
मैंने तुमसे रूह को
किया है साझा , और
तुम्हारी निकटता की ऊष्मा को
अपने बदन से उतार कर
यहीं तो छुपा रखा है
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ए सुनो ना
💞आओ क़रीब इतना कि
मैं इज़हार कर लूँ, 💞
💞 तुम्हारी आगोश में आ
कर मैं प्यार कर लूँ!!💞
🌺💞रहे ना कोई भी दूरी
हम दोनों के बीच में,💞
💞 तुम्हें बाँहो में भर के
अपने मैं गिरफ़्तार कर लू🌹❤️
सिर्फ तुम ❤️❤️-
आओ चलो एक समझौता कर लें,
लेकिन इस बार शर्तें मेरी होंगी।
कुछ तुम अपनी तरफ़ से मुझे दो,
कुछ मैं तुम्हें अपना सौंप दूँ।
तुम एक कतरा ज़मीं मुझे दे दो,
मैं तुम्हें अपना सारा आसमाँ दे दूँ।
अपनी उड़ती नींदें मेरे नाम कर दो,
मैं तुम्हें अपने ख़्वाबों की रंगतें दे दूँ।
तुम मुझे अपनी वीरान उदासी दे दो,
मैं तुम्हें अपनी खिलखिलाती ख़ुशियाँ दे दूँ।
तमाम तकलीफ़ें अपनी मेरे सिरहाने रख दो,
मैं तुम्हें अपनी सारी राहतें दे दूँ।
तुम मुझे अपनी बेचैन रातें सौंप दो,
मैं तुम्हें अपनी सुक़ून भरी सुबहें दे दूँ।
तुम अपने हिस्से की चिलचिलाती धूप दे दो,
मैं तुम्हें अपनी ठंडी छाँव दे दूँ।
मेरे दिल को चीर देने वाली तुम्हारी ख़ामोशी दे दो,
मैं तुम्हें अपनी बेहिसाब बातें दे दूँ।
लिख दो मेरे नाम तुम सर्द हवाएँ अपनी,
और मैं अपनी गर्म साँसें तुम्हें दे दूँ।-
गुलाब की खुशबू सा ,
अपने भीतर उतार लिया है तुम्हें ,
न सूरत , न मूरत,
न मुलाकात ,
न कल , न आज ,
बस एहसासों में बसा लिया है तुम्हें ,
न यहाँ , न वहाँ ,
न रिश्ता , न फरिश्ता ,
न आस में , न कयास में ,
बस रूह में बसा लिया है तुम्हें ...-
थिरकते तेरे इन होंठों पर रूहानी अल्फाज़ लिख दूँ..!
पास तो आ ज़रा......इश्क़ का सारांश लिख दूँ...!!-
मेरे हाथ की रेखाएं धीरे धीरे तुम्हारी कमर को शहला रही है
मेरी सांसों की गर्मी तुझ में समा रही है जब तू इस कदर पास आ रही है-