बारिश और तुम्हारा साथ,
चाय की प्याली और संगीत की धुन,
ये सुकून के सबसे महंगे पल है जिंदगी में ।-
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कैसा जा रहा है इतवार ,
गर्म चाय की ख़ुशबू है भीगी बारिश का नशा,
होंठों की तलब सा या आँखो के सुकून सा,
कैसा जा रहा इश्क़ का मौसम,
तुम्हारे इंतज़ार का |-
रफ्ता रफ्ता साज सजने लगी,
कोयल गुनगुनाने और शाम मुस्कुराने लगी,
मैं खोया रहा और वक्त गुजरता रहा,
सफ़र में ग़म दूर से बिलखता रहा,
मुस्कान खड़ी खड़ी देखती रही,
वो चाय की प्याली भी मुझे इश्क़ करती रही,
लोग जलते रहे और मैं लिखता रहा,
ग़ज़ल यूँही महकाने लगी,
वो यारों की यारियां थी,
जो बिना जाने नशे सी मुझ पर चड़ती रही ।
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शाम होती खंजन सी, तलाश में उनकी मुलाक़ात लिखी,
चाय के प्याली के संग, धूए में बस उनकी यादें लिखी ।-
पलके झुक जाती है जब निगाहें टकराती है,
इतनी सिद्दत से महफ़िल में उनको तराशा गया-
कुछ लोग छुट गए है,
अपने होकर पराए हुए है,
वो यादें फिर से दोहरा रही हैं,
yq पे निगाहें तलाश रही है,
लौट आये है वो अश्क और इश्क़,
मोहब्बत फिर से ख़फ़ा हुई है ।-
सुप्रभात आप सब को,
सुबह की रोशनी जैसा आप का दिन सुहाना रहे,
गुनग़ुनाता रहे,
एसी शुभकामनाएँ ।-