फिर टूट के जुड़े किस लिए ।
फिर टूट के जुड़े किस लिए ।
आखिर में तो टूट ना हि है । ।
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और कुछ करवा हम लिख जाते है।
dhruvilrami0189@gmail.com
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તાર રંગ કેટલા જીવન માં મારે સંગ કેટલા,
વિખરતા મારે સંગ કેટલા,
હૈયે થી તુટેલા અંગ કેટલા,
વાહ રે જીંદગી તાર રંગ કેટલા....-
शासन और राज कभी किसी का नही होता ।
जैसे अंधेरा ज्यादा नही होता ।
जैसे उजाला ज्यादा नही होता ।
जैसे जीवन भी सीमित नही होता ।
वैसे मरन भी सीमित नही होता ।।-
હા તો હવે એના સાથે કોઈ વાત નથી..
પણ જીંદગી માં એના જેવો કોઈ સાથ નથી..
બસ પણ એજ છે કે હવે એના સાથે કોઈ મુલાકાત
નથી...-
मुझे तुझे चाहने की ख्वाहिश ही हो चुकी थी ।
ओर मेरी ये किस्मत फिर से मुझसे रूठी है ।-
જીવન પણ અજીબ છે નહીં જ્યાં પોતાના પારકા
એ પારકા ના પોતાના થઈ જાય છે..-
आज चाई पीने की इच्छा हुई दोस्त साथ नही था ।
बस यही ज़िंदगी है साहब ।
के उस से बात करने की इच्छा हुई और वोही साथ नही है ।।-
"वो दिन भी क्या याद है"
वो दिन भी क्या याद है हमको.
वह साल भी क्या याद है हमको.
उस दिन जो बिखरे थे वो पल भी याद है हमको.
तुमसे की हुई आखिरी बात वो आखरी मुलाकात याद है हमको.
ना जाने क्यू सिमट के रह गई थी ज़िंदागी वो हर एक साह याद है हमको.
वो दिन भी क्या याद है ।।
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ना मोहब्बत पर मेरा जोर था ना तक़दीर पर ।
मोहब्बत एक मोड़ पर एक रुक गई ।
ओर तक़दीर बीच मझधार पे छोड़ गई ।।
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