बस दिल ही दुखा।
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दिल के कलम से ✍
(Saurabhi Salil)
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अपने एहसासों को शब्दों में पिरोती हूं,
दिल की बातों को दिल के कलम से लिखती हूं।
हिंदी हो या ... read more
दिल की बातों को दिल के कलम से लिखती हूं।
हिंदी हो या ... read more
Joined 17 June 2021
22 SEP 2021 AT 14:59
मां - सी
तेरी गोद में कभी खेला करते थे,
मौसी मौसी कह कर,
तुमसे लिपटा करते थे,
पता कहां था उस घडी,
की बड़े होकर,
तुम्हे ही मां कहा करेंगे।
अपने अस्तित्व को मिटा कर,
मां से बढ़कर हम बच्चों को अपनाया।
तुम्हारी कोख से भले न जन्मे हों,
पर मां का प्यार तुमसे ही पाया।
ईश्वर ने यह कैसा खेल रचाया,
जन्म दिया किसी के कोख से,
और मां किसी और को बनाया।
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19 AUG 2021 AT 17:04
काश इनकी गूंज दिमाग तक पहुंच पाती,
दिल अब कुछ सुनता ही कहां हैं?-