"@दिल -ए- गुलिस्तां "  
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Instagram ID "@Dil-e gulistaan "
मंज़िल अपनी ओर खींचती है,
चलना तो खुद को ही पड़ता है
Joined 22 April 2019


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मंज़िल अपनी ओर खींचती है,
चलना तो खुद को ही पड़ता है
Joined 22 April 2019

आप है ,
तो दुनिया में रखा क्या है

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एक दिन इजाज़त मिली,
सबको अपना प्रिय चुनने की...
हवा खुशबू के पीछे भाग ली,
चांद तारों के साथ हो लिया......
ओर प्रेम ने ,
प्रतीक्षा की कलाई थाम ली !

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आपको मुझे ....
जवाब देने से ज्यादा;
बात ना करना अच्छा लगा।

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नाराज़ थोड़े ही थीं आपसे,
कि आप मनाते मुझे......
परेशान थी मैं खुद से,
इतना समझ के ही गले लगा लेते....

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किया जाये...
वो प्यार ही कैसा.....

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कभी था ही नहीं,

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पास ना आये

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इस जन्म में इतना थक चुकी है औरत,
किसी भी जन्म में औरत नहीं बनाना चाहेगी....
ये संस्कार,सहनशक्ति, समझौते जसे शब्द....
इतना थका चुके है कि......
वह औरत नहीं बनाना चाहेगी|

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एक शोर बाहर था,
एक शोर मन में था...
सबको बाहर का शोर दिखाई दिया,
मन का शोर किसी को नज़र ही नहीं आया

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सब्र आ जााये तो......
जलते अंगारे भी,
बर्फ़ लगने लगते है

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