वो एक लम्हा था, जो बीत गया।
वो एक सपना था, जो अधूरा रह गया।
वो एक ख्याल था, जो पीछे छूट गया।
वो एक सवाल था, जिसका जवाब रह गया।
खैर
जिसका ख्याल नहीं, उसका सवाल क्यों करें।
जो लम्हे अच्छे थे, उसे बूरा सपना क्यों कहें।
अब
जो बीत गया, उसका जिक्र क्यों करें।
वो आए थे बस सिखाने हमें, की हम खुद मैं ही न गुमसुदा रहा करें।
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