DIKSHA TIWARI   (Dik$hâ)
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Joined 25 August 2019


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Joined 25 August 2019
26 SEP 2020 AT 0:28

तेरे हाथों की खुशबू को
मैंने अपने साथ कुछ ऐसे रखा है
जैसे महकता सा कोई कमल झील में

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14 AUG 2020 AT 23:30

साथ के सपने देखते-देखते
यूं ही मैं अकली रह गयी‌।

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17 MAY 2020 AT 12:12

रात के अंधियारे में
ख्वाबों को आंसुओं से भिगोने पर
कुछ ख़्वाब तो कागज़ की तरह
गल जातें हैं
तो कुछ किशमिश की तरह
फूल जातें हैं।

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12 MAY 2020 AT 10:35

जिंदगी के हालात
वक्त और किस्मत पर निर्भर होते हैं।

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7 MAY 2020 AT 13:58

जो भर जाए, वो इश्क नहीं
जो जाहिर हो, वो दर्द नहीं
जो खामोशी न समझे, वो हमदर्द नहीं
और जो हर किसी से हो, वो मोहब्बत नहीं।

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7 MAY 2020 AT 11:08

गलती न कर तू मुझे अबला समझने की,
क्योंकि मुझे लहरों से टकराना है।

मलाल न कर तू मेरे औरत होने पर,
क्योंकि इस दमदार औरत को लहरों से टकराना है।

अपने इन ख्वाबों की बुलंदियों से,
लहरों को थकाना है,
क्योंकि इस अबला नारी को लहरों से टकराना है।

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5 MAY 2020 AT 13:43

तेरी मेरी मोहब्बत का,
अंदाज ही कुछ अलग है।
मुझे तुझ पर नाज है,
और तुझे मुझ पर नाज है।

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5 MAY 2020 AT 11:46

मंजिल कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो
पर सफर यादगार होना चाहिए।

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16 APR 2020 AT 21:48

अगर तुझे मुझसे इश्क नहीं
तो तेरी पलकों की छांव में
‌ मेरे ही ख्वाब क्यों

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30 MAR 2020 AT 22:10

कुछ ऐसा वाला प्यार
जो बहार सा नया
सर्दी सा पुराना
गर्मी सा बेचैन
बरखा सा सुहाना

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