Diksha Sharma   (@deekshanazar)
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एक ऐसी लेखक जो शायद आप सभी के अंदर कहीं छिपी हुई है
Joined 6 July 2018


एक ऐसी लेखक जो शायद आप सभी के अंदर कहीं छिपी हुई है
Joined 6 July 2018
30 DEC 2021 AT 11:23

है ज़िन्दगी मुश्किल ये जानता है वो,
कभी दौड़ पड़ता है तो कभी लड़खड़ाता है वो..
हैं ख्वाब किसी और के मग़र हर रोज़ तपता है वो,
आदमी ही तो है बेबात मरता है जो..
कभी बेटा बनकर कमाता है,
तो कभी पती बनकर निभाता है..
और जब बाप बनता है वो,
तो हर हद पार कर जाता है..
पूरा दिन ज़िन्दगी जीतने की कोशिश में लगा वो,
हर रात एक मासूम मुस्कान से हार जाता है..
क्या अजब है ना इसकी ज़िंदगी भी,
सबकुछ के बाद भी पत्थरदिल कहलाता है जो...



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10 NOV 2021 AT 15:10

जो सोच समझ कर किया जाये,
वो सौदा होता है..
जो बेपरवाह हो,
वो ईश्क होता है

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9 NOV 2021 AT 9:09

क्या एक शख्स आपकी पूरी दुनिया हो सकता है ?
हां सिर्फ वो एक शख्स मेरी पूरी दुनिया हो सकता है ❤

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29 OCT 2021 AT 16:54

ग़लती मुझसे भी बस एक हुई थी...
उसे जिस्म चाहिए था सिर्फ शायद
और मैने चुप- चाप रूह सौंप दी

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28 OCT 2021 AT 15:54

I m not in love with u.. I m in love with myself and u r soul of mine.. My essence ❤️

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27 OCT 2021 AT 16:02

ज़रूरत का मुझे पता नहीं पर मेरी सबसे अजीज़ आदत है तू..

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1 OCT 2021 AT 9:42

हैं कुछ ख़्वाब बाकी अभी ये सोचकर कुछ और कदम चल लेती हूं..
है मेरी मंज़िल मेरी तलाश में ये कहकर मैं रास्तों से भी लड़ लेती हूं
बस गंवारा नहीं है मुझे थक कर रूक जाना
और इसलिए हर तूफान से टक्कर लेती हूं


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12 AUG 2019 AT 18:04

अक्सर कुछ कहने से पहले मैं लफ्ज़ समेट लेती हूं,
क्योंकि कुछ अपनी तहज़ीब को सहेजना मुझे आता है,
और कुछ आपके स्तर का पता लेना मैं ज़रूरी नही समझती

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29 MAY 2019 AT 16:11

ए जिंदगी चुरा लेने दे कुछ लम्हे
कि फुरसत में कभी खुद का दीदार हो जाये
बिस्तर से ना लडूं जल्दी जागने के लिए
कि अपनों के साथ बेफिक्री की दो प्याले चाय हो जाये

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30 NOV 2018 AT 15:22

मेरे ज़हन से छूट कर गिरा था
एक सिक्का अल्फाज़ का
उन्होने सरेआम नीलाम किया
वो किस्सा एहसास का ...

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