कोख में ही मेरी हत्या करते हो,
बेटा-बेटा हर पल करते हो,
मेरे बिन ले आओ बेटा,
मैं भी देखूं कहां से ले आते हो,
मैं ना रहूं अस्तित्व तुम्हारा मिट जाएगा,
अभिशाप नहीं ,अस्तित्व व अभिमान हूं मैं,
दो घरों को रोशन करने वाली चिराग हूं मैं,
आसमां से जमीं तक मेरा परचम लहराया है,
हां बेटी हूं मैं......... बेटी हूं मैं,
गर्व से कहती हूं बेटी हूं मैं,
बेटी हूं मैं! बेटी हूं मैं! बेटी हूं मैं!
दीक्षा पाण्डेय
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