कुछ अंत, अंतहीन हैं।— % &
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Diksha Maan
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Observer
Joined 10 July 2017
21 JAN 2022 AT 16:34
अभिस्वीकृति की प्रतीक्षा में जिंदगी झोंक दी
प्यार, पहचान और पुरस्कार मिला पलायन से।-
16 JAN 2022 AT 8:44
मेरे हिस्से की नींद ना सही, आसमान लौटा दो
बंद आंखों के ख़्वाब ना सही, मेरे पंख लौटा दो।
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13 JAN 2022 AT 21:59
खूबसूरती पाबंद है मुखौटों कि सलाखों में,
क्योंकि
सरलता अप्रमाणित है सुंदरता के मापों में।-
9 JAN 2022 AT 2:12
एक वक्त था दीवारों की इमारतें घर कहलाती थीं,
अब इमारतों की दीवारों में खिङकियों के धरौंदे हैं ।-
5 JAN 2022 AT 21:17
कसे हुए दिल के किवाङो से गुहार है
लोहे की सलाखों से एक नज़र ताक लें
हम पानी का समंदर बने खङे है
आये एक बार अपना अक्स झांक ले-
5 JAN 2022 AT 21:09
तितली की सुंदरता चंचल उङान में,
मनुष्य की सुंदरता सरल व्यवहार में ।-
30 DEC 2021 AT 19:30
दिखावे की दुनिया में
कपङो से हैसियत परख रहें है
पैसों से धुंधले चशमें से
कैसे आप इंसान परख रहे है?-