कहीं पर सब्र करती हूं कहीं पर बोल जाती हूं जहां मेरी शरारतों से किसी को तकलीफ हो
वहां अक्सर खामोश हो जाती हूं जिसको अपना समझती हूं, वहां मनमानियां करती हूं
हां गुस्से की थोड़ी तेज हूं, चंचल हूं, शरारती हूं पर उनके सामने जिसे अपना समझती हूं
हर किसी को समझ नहीं आती हूं मैं क्योंकि बाहर से rude, और attitude वाली लगती हूं
पर यकीन मानो अंदर से उतनी ही नर्म दिल की हूं कभी कभी गुस्से में लोगो को hurt भी कर जाती हूं जब गुस्सा शांत होता है तो खुद बहुत पछताती हूं
मैं किसी को hurt नहीं करना चाहती हूं पर गुस्से में ये नादानियां कर जाती हूं...
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