चिचिलाती दोपहर में तपा मेरा इश्क़ लाल
ढलते सूरज, आसमान सा मेरा इश्क़ लाल
पीला पतझड़ तो नारंग मैं, ऐसी भक्ति मेरी
तो किसी की क्या मजाल, मेरा इश्क़ लाल
आने दे बर्फीली रात भी, गुलाबी हो जाऊंगा
चट्टान है वो हूं मैं प्रेमजाल, मेरा इश्क़ लाल
तू भले बन जा घटा, मट मैला नहीं करूंगा
हूं मैं एक रेगिस्तान विशाल, मेरा इश्क़ लाल
जो कम पड़ें मौसम तो हूं मैं यहीं तेरे साथ
बन पड़े, नए मौसम निकाल, मेरा इश्क़ लाल
इंतज़ार ख़तम नहीं हुआ है मेरा कि एक दिन
जो खिलेगा फूल लाल वो हो मेरा इश्क़ लाल
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