^__^अल्फाज़ मेरे एहसास आपके^__^
जिंदगी की राह पर मैं कुछ यूं चलती जा रही हूं,
हालात कितना भी चाहे मुझे गिराना
मैं पहले से ज्यादा अपने आज में
और भी संभलती जा रही हूं,
बुरे से बुरे वक्त में भी हौसला बनाकर रखा है,मैंने
वक्त भी मेरी काबिलियत को देख शायद
अपनी रफ्तार बदलती जा रही है,
कभी दूर दूर तक मुझे मंजिल नहीं दिखती थी
और आज अपने मंजिलों के साथ में,
मैं सफ़र तय करती जा रही हूं,
कुछ इस तरह मैं चलती जा रही हूं
तन्हाइयों के साथ ही मै अपनी
हवाओं सी बहती जा रही हूं,
ज़िंदगी की हर नई ठोकरों से मैं,
और भी संभालती जा रही हूं,
मुझे पता है मैं सच्ची हूं,
मुझे कुछ खोने का अब डर नहीं,
जितना तू मुझसे छीनती है,
उससे भी बेहतर मैं,तुझसे
कुछ न कुछ लेती जा रही हूं,
ऐ-जिन्दगी तू मुझे यूं नादान ना समझ
मैं आज भी तेरे चालाकियों से,
आगे निकलती जा रही हूं!
---Diksha jha (झाजी)
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