Lamhe te wo sukoon ke ,
Lamhe wo mulakat ke...
Lamhe te wo bechaini ke ,
Lamhe wo roothne ke...
Lamhe guzar gye wo intezar me
Jb lamhe the sath muskurane ki..
Palke jhapaka lun ,
Guzre lamhe tham jate hai...
Chehre pe tazgi wo lamhe le aate hai
Aur kya kahun lamhe hai sapne nahi..-
राज़
कमरे के किसी कोने में दबे हैं लोग कहते है,
कमरे की बेचैनी राज़ का बोझ बयां करती हुई,
ख़ामोश सी चुप सी पड़ी अंधेरे मे,
किसी उजाले के इंतज़ार मे,
ये राज़ भी किसी काले बादल से कम नहीं हैं,
भर जाने के इंतज़ार मे,
जाने क्या होगा जब एक दिन बरस जाएगा।।
नाराज़गी के ओले बरस पड़ेंगे तो,
कहीं भावनाओं की तूफान सी चल पड़ेगी,
सही और ग़लत की मधम हवाओं मे,
लोग नासमझी की दिशाओं मे निकल पड़ेंगे,
शब्द आंखों से टपकते है ,
फिर भी ज़ुबां चुप रह जाती है।।
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कि हमें सांस आती है या नहीं...
प्यास लगती है या नही..
नींद आती है या नहीं...
बारिश की वो सौंधी खुशबू ,
तुम्हारी याद दिलाती है या नहीं..
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Zaroori nai galti kr ke hi saza milti hai
Kabhi kabhi bina galti bhi log saza de jate hai...-
Life is simple too...
It just pretends complicated like the beautiful mehendi-