कौन हूँ मैं ,
जो ये लिख रही हूँ।
यह प्रश्न ख़ुद से मैं,
आज पूछ रही हूँ।।
मौन हूं मैं,
सबको सुन रही हूँ।
न जाने क्यों मैं,
कुछ न बोल रही हूँ।।
सीधी सी दिखती मैं,
मगर टेढ़ी भी कम नही हूँ।
कुछ न बोलती मैं,
पर ग़लत भी न सुनती हूँ।।
मनमौजी हूँ मैं,
सुनती भी सबकी हूँ।
हूँ इस ज़माने की मैं,
लेकिन संस्कारों से जुड़ी हूँ।।-
निर्माता अपने ख़्वाबों और कल्पनाओं की 📝
A flat belly,
Eyes being shimmery.
Hair falling down to the lower back,
Hands with bangles were tightly packed.
Chin up with an attractive smile,
Feet in heels tapping grounds all the while.
Her spirits were high,
Hands were touching the sky.
Her elegant moves,
Let all others groove.
Surrounded by her relatives and siblings,
She was laughing and giggling.
Happiness was blushing on her cheek,
Excitement was at its peak.
She was overcoming her emotions all the way,
A daughter was enjoying a night before her D-Day.-
Who is Diksha?
D - Divine
I - inspiration
K - knows
S - Spiritual
H - happiness
A - around
दिक्षा कौन है?
ईश्वरीय प्रेरणा चारों ओर आध्यात्मिक सुख जानती है।-
"स्वर्ग से परिवार"
जो तेरी खुशी को,
सबसे पहले रखता।
तेरी हर ख़्वाहिश को,
पलकों पर सजाता।
ऐसा परिवार ही,
स्वर्ग से भी सुंदर होता।।
तू जो बीमार हो जाए,
रात दिन न देखा जाता।
तुझे ठीक देखने के लिए,
हर कोई बस दौड़ लगाता।।
खट्टी मीठी नोकझोंक के बाद भी,
तुझसे निस्वार्थ प्रेम है करता।
कभी हार कर जो अगर टूट जाए,
तेरे साथ खड़ा हो जाता।।
जीवन के हर पल में,
तेरा जो साथ निभाता।
वो परिवार ही है,
जो तेरा जीवन स्वर्ग का सुंदर बनाता।।-
आज से एक नई जंग लड़ते है,
खुद को मजबूत बनातें है।
अपनी खामियों को छुपाते नही,
उन्हें अपनी ताकत बनाते है।।
दूसरों की मदद मांगने से पहले,
खुदको सहायक बनाते है।
दूसरों पर विश्वास करने से पहले,
खुद की काबिलियत पर भरोसा करते है।।
चलो खुद से एक वादा करते है,
कोई चाहे कुछ भी कहे,
हो चाहे कितनी भी खामियां,
खुद को हर पल अपनाते है।
दुख में होते हुए भी,
दिलों में हौसला रखते हैं।
खुशी के पलों को याद रख,
उस रब्ब का शुकराना करते हैं।।-
खुद करो तो सब सही,
कोई करे तो उसकी गलती।
खुद ने तो माफी न मांगकर भी अकड़ दिखाई,
दूसरे को तो चुन - चुनकर गलतियां गिनवाई।।
शर्मिंदगी उसे महसूस कराई,
कर्तव्य के नाम पर अपनी दकियानूसी सोच दिखाई।
औदा जो तुम्हारा ऊंचा था वहाँ,
तभी तो वो कुछ बोल न पाई।।
जब तुम्हारे खिलाफ किसी ने आवाज़ उठाई,
तुमने अपनी चालबाज़ी दिखाई।
आरोपों से बचने के लिए,
तुमने फिर नई तरकीब लगाई।।-
क्या सुनना ज़रूरी है?
ज़रूरी नहीं कि आप ही सही हो,
माना कि औहदे में बड़े हो,
मगर हो तज़ुर्बे में कम,
फिर भी न सुनने की कसम ले बैठे हो।
छोड़ दो वो वहम,
जिसमे भरा हो सिर्फ अहम।
कभी चुप रहकर समझना,
और दूसरों को भी समझाने का मौका देना,
दूसरे की जगह खुद को रख सोचना।
बात सिर्फ व्यहवार की है,
नहीं तो जो सुन सकता है
वो सुना भी सकता है।
क्योंकि सुनना हमेशा जरूरी नहीं है,
गलत की गलती,को बताना जरूरी है।-
"कृष्ण दीवानी"
आज शायद समझ रही हूँ,
राधा कृष्ण की प्रेम कहानी,
रुक्मणी न बन सकी हूँ,
पर बनी मैं कृष्ण दीवानी।।
प्यार अनंत मैं करती हूँ,
मगर कुछ ज़िम्मेदारियाँ भी हैं निभानी।
राधा जैसा प्रेम करने चली हूँ,
बुनने मैं एक नई कहानी।।
दूर होकर भी पास रहने लगी हूं,
प्यार नही रहा अब मेरा जिस्मानी।
हर पल उसको महसूस करने लगी हूँ,
करके राधिका सा इश्क रूहानी।।
प्यार में आज़ादी दे चुकी हूँ,
अब न करती कोई पहरेदारी।
हाँ मैं अब रंग चुकी हूँ,
तुम्हारे प्यार में कुंज बिहारी।।
आज शायद समझ रही हूँ,
राधा कृष्ण की प्रेम कहानी,
रुक्मणी न बन सकी हूँ,
पर बनी मैं कृष्ण दीवानी।।-
महादेव के सुत है,
माँ गौरा के वो अंश है।
है वो सबके ही प्रिय,
गणराज ऐसे प्रियांशु है।।
रिद्धि सिद्धि के दाता है,
भाग्य के वो विधाता है।
है करते सभी कार्यों को सिद्ध,
सिद्धेश ऐसे सिद्धार्थ है।।
सबके दुख हर लेते है,
सुखों से झोली भर देते हैं।
है करते जो सबके कार्य मंगल,
विघ्नेश हमारे प्रथमेश हैं।
लड्डू से उनका मन भाता है,
मोदक को देख जी मचलाता है।
है जो खान पान के शौकीन,
लम्बोदर के नाम से उन्हें पूजा जाता है।।
मूषक की वो सवारी करते है,
गज का मुख वो रखते हैं।
है एकदन्त सबका मन मोह लेते,
गजानन ऐसा जादू करते है।।-