मौन कृष्ण थे, मौन सुदामा, मौन मगर था मंत्रित,
नैनों से जो अश्रु बहे थे, वो अश्रु सभी शुचि वंदित।
शब्दों का श्रृंगार नहीं था, न कहीं थी कोई भाषा,
वो मित्र मिलन की पावन वेला, युगों युगों तक है पूजित।-
श्रेष्ठ गीता किताब होती है।
हर विषय का जवाब होती है।
करती खुशहाल ज़िंदगी सबकी,
भक्ति ऐसी शराब होती है।
जब जुबाँ छोड़ दे गिला शिकवा,
प्रार्थना लाजवाब होती है।
राम मूरत में डूब जाए जो,
वो नज़र बेहिसाब होती है।
राम का नाम हो बसा जिसमें,
वो ग़ज़ल इक गुलाब होती है।-
राम सुनते जो ठहर जाते हैं,
भाग्य उनके ही सँवर जाते हैं।
राम के नाम से जब जुड़ जाते,
मंत्र बन शब्द निखर जाते हैं।-
मगर कर गया वो सियासत भी मुझसे।
ग़ज़ब है ये दुनिया गज़ब है मुहब्बत,
छुपाई गई हर हकीक़त भी मुझसे।-
आशावान बने रहना,इतना भी आसान नहीं,
मगर निराशा ओढ़े रखना,उचित समाधान नहीं।
जो जलते हैं दीप तमस में,वे ही पंथ सजाते हैं,
हर ठोकर पर रुक जाना,मानव की पहचान नहीं।-
स्वयं नहीं कुछ भी मैं,तेरी परछाई हूंँ मांँ,
तेरी ममता के आंचल की कमाई हूंँ मांँ।
जिस आंगन की मिट्टी में महकी थीं सांँसे,
उसी द्वार पर अब क्यूँ लगती पराई हूंँ मांँ?-
राम हैं साथ तो और क्या कीजिए,
बस उन्हीं एक का आसरा कीजिए।
हर नशा है उतरता यहांँ वक्त पर,
जो न उतरे कभी वो नशा कीजिए।
यदि न उत्तर मिलें प्रश्न के जब कभी,
ध्यान में नाम हरि का रमा कीजिए।
जब न कोई दवा काम दे पीर में,
राम के नाम की बस दवा कीजिए।
लक्ष्य धर राम-सीता कृपा की डगर,
श्वास में मंत्र धर साधना कीजिए।
राम सुनते सभी की करुण टेर को,
पूर्ण श्रृद्धा सहित प्रार्थना कीजिए।-
साझा कर लेते हैं मुस्कानों की प्याली को,
हरा-भरा कर देते हैं जीवन की क्यारी को।
बीज सुखों के बो दें पीड़ा की हर चुस्की में,
चलो विजय दें मिलकर जीवन की हर बाजी को।-
हर घाव, हर चुप्पी ,
बोली एक कथा,
कि ‘मैं’ नहीं टूटा,
बस बदल रही दिशा।
अँधेरों ने सींचा,
और मौन ने ढाँपा,
हुई साधना जब,
पीड़ा में पुष्प खिला।-