दीक्षा मिश्रा   (@Manmauzi)
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कभी राइटर कभी फाइटर
अल्फ़ाज़ के मोती Instagram page
मेरा जन्मदिवस 22 नवंबर
Joined 9 October 2017


कभी राइटर कभी फाइटर
अल्फ़ाज़ के मोती Instagram page
मेरा जन्मदिवस 22 नवंबर
Joined 9 October 2017

वो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है
मेरे दर्द को बिन बोले पहचानती है!
थोड़ी आवाज़ में खराश आ जाए
फौरन हाल पूछती है!
मां तू ठीक है ना, कहने पर मेरे
बस थोड़ा जुकाम है कहकर
बात टालती है!
वो मां ही है जनाब
अपने हर दर्द को छिपाकर
मेरा हर दर्द बाटती है, क्योंकि
वो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है!!







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तुम गुनाह करते रहो हम मुस्कुराते रहेंगे
अपने जख्मों को सीने में दफनाते रहेंगे!
जब तुम होगे गलत कभी हम
खुद को गुनहगार बताते रहेंगे!
तुम कभी ना बांट सकोगे दर्द हमारा
फिर भी हम तुम्हें हमदर्द बताते रहेंगे!!
— % &

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अपने पैरों पर खड़ी एक आजाद, स्वाभिमानी लड़की
उसके जाने पर रोती रही, गिड़गिड़ाती रही, अपने प्यार की भीख मांगती रही !!

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ना घमंड है मुझे पैसे का
न घमंड है किसी और चीज का
बस मेरे बाप ने गलत के आगे झुकना नहीं सिखाया
ना दिल की बुरी हूं ना आदतें खराब हैं
बस मेरा गुस्सा कंट्रोल नहीं होता!!

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शादी एक बड़ी जिम्मेदारी है
अगर साथी अच्छा मिला तो सुहानी बन जाती है
वरना कब्र तक कॉम्प्रोमाइज कराती है !!

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शहर से लौटकर बच्चे घर आ गए
देखो क्या दिवाली आ गई?
आज छज्जो पर झालर सज गई
देखो क्या दिवाली आ गई?
आज पड़ोस की दादी पोते के साथ खेलती नजर आईं
देखो क्या दिवाली आ गई?
कबाड़ी वाले के घर वापस से खुशियां लौट आईं
देखो क्या दिवाली आ गई?
आज कुम्हार के घर से पूरी की महक आई
देखो क्या दिवाली आ गई?
गांव शहर के बाजारों की रौनक वापस लौट आई
देखो क्या दिवाली आ गई?


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मुझे तुम्हारा साथ
सुनो मम्मी आ गई हैं से लेकर,
सुनो मम्मी वो आ गए हैं
तक का चाहिए!!

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मैं वक्त नहीं हूं जो गुजर जाऊंगा
मैं एक दिन तूफान बन वापस आऊंगा !
तब संभालना तुम अपने आशियाने को
वरना मैं तेरा सब कुछ उड़ा ले जाऊंगा!!

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मेरे प्रिय बेटे,
मैं तुझे मर्द नहीं इंसान बनाऊंगी
तुझे मर्दानगी नहीं इंसानियत सिखाऊंगी!
तेरा भी रसोई से नाता जुड़वाऊंगी
तुझे स्त्री के महावारी के बारे में बताऊंगी!
तेरा जाति, धर्म, समुदाय नहीं मानवता से वास्ता कराऊंगी
मैं तुझे होठों की मुस्कान और आंखों को नमी बनाऊंगी!
मैं तुझे किताबी ज्ञान नहीं जिंदगी के पन्ने भी पढ़ाऊंगी
मैं तुझे मर्द नहीं इंसान बनाऊंगी!!


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अच्छा लगता है तेरा यू मुझ पर शक करना
कम से कम इस बहाने तू बात तो करता है !
अच्छा लगता है तेरा यूं मुझसे रूठ जाना
कम से कम तू मेरे मनाने का इंतजार तो करता है!
अच्छा लगता है तेरा यूं मुझ पर चिल्लाना
कम से कम तू मुझ पर हक तो समझता है!
मैं अभी तक इसलिए चुप हूं जाना
क्योंकि इश्क में मुझे सब कुछ जायज़ लगता है!!



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