मोहब्बत दो लोगो के बीच का नशा है
जिसे पहले होश आये वो...बेवफ़ा है-
कभी खिड़की खोलेंगे तो देखेंगे उन्हें ...पतंग उड़ाते हुए
कितनों के मांझे काटें हैं उन्होंने ,यू छत पे मुश्कुराते हुए
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जिसने जोड़ा था दिल तुम्हारा वो ख़ुद अब बिखर गया
सारी हदें पार की थी उसने तुम्हें पाने की टुकड़े हुए दिल के उसके.... कुछ इधर गया कुछ उधर गया-
अश्क कुछ छलके इस कदर इस बार उनका....मेरा शर्ट भीग गया, मैं उन्हें अपने कांधे से दूर करने लगा और मेरा फिर से दिल लग गया
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नींद रूठ जाती है कभी - कभी देखते हैं जब खाब तेरे
हर्फ़ दर हर्फ़ चोटिल करते हैं मिल के भी ना मिलने के अहशास तेरे-
हमें सारी बड़ी महाफ़िले बिरान् सी लगती है
क्योंकि हमें दुनियाँ मे सबसे अच्छी औरत हमारी *माँ* लगती है-
उसकी हर मुश्कान मुझे इस कदर डुबाती रही
मै जलता रहा आग मे, वो मेरे चीते पे चाय बनाती रही
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चलो वक़्त के साथ कबूल तो किया बनाया मैने ही था
मैने छोड़ा भी इस लिए ही था ,क्युकी तुमको कुछ और कुछ और बनाना था-
चलो वक़्त के साथ कबूल तो किया बनाया मैने ही था
मैने छोड़ा भी इस लिए ही था ,क्युकी तुमको कुछ और कुछ और बनाना था-