लौट आता हूँ हर शाम,
समेट के दिन को।
कभी ख़ुद को लूटा देता हूँ,
और कभी अरमानों को।।-
Welcome to alfaz-ae-dhyey
#puranapanna #alfazbydhyey #shortndsweetbydk
लौट आता हूँ हर शाम,
समेट के दिन को।
कभी ख़ुद को लूटा देता हूँ,
और कभी अरमानों को।।-
चाँद के साये में एक ख़ामोशी थी,
ना शोर, ना शिकायत… बस तू।
हर लफ़्ज़ में, हर सांस में… बस तू।-
समय का कैसा मोड़ है,
रात-दिन की दौड़ है.
खुश रहने का समय नहीं,
बस खुशी खरीदने की होड़ है.-
શબ્દ,
તમારી લાગણી ને વ્યક્ત કરતો કક્કો.
Word,
An alphabet which express your feelings.-