Dhyey P Shukla  
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Joined 2 December 2017


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2 DEC 2021 AT 15:36

कतरा कतरा बह रहा था ये रक्त इश्क सा ,
रगों के बेगाने रास्तों से अब उन्हें आज़ादी चाहिए थी।

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19 JUN 2021 AT 9:37

उजाले की आस से दूर कितना तमस ये कोना है
हमे नूर की,रोशनी की जरूरत कहां हमे तो बस रोना है।

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18 JUN 2021 AT 3:40

सिर्फ शाम के सिरहाने मैं होता था दूर मलालों से
वरना रातें मेरी दिन के खयालों में कटती थी और दिन मुस्तकबिल के सवालों में ।

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9 JUN 2021 AT 23:02

दिन के गम और रात में तन्हाई के तमाशे
यहां रोने को एक कंधा न मिला और ये रूह मरने को चार कंधे तलाशें ।

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7 JUN 2021 AT 17:56

मेरे ज़ेहन में मेरे हालत पे मेरे खयाल और मेरी सोच चिल्ला रही है ,
लबों पर रुक जाती थी जो बातें वो लफ्जों में कलम लिखी जा रही है ।

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7 MAY 2021 AT 1:35

ये दर्द , दुख , घाव ऐसा है की भरता नहीं ,
अपने न चाहने पर भी अपने तो गुज़र जाते है ,
पर ये दर्द-ए-हिज्र है जो गुजरता नही।

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20 MAR 2021 AT 16:07

तू चाहत थी मेरी
न जानें कब तू इबादत बन गई
तू ज़रूरत थी मेरी
न जाने कब तू आदत बन गई।

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14 FEB 2021 AT 6:49

ख़्वाब टकराते रहें मेरे,मेरे अपनों के साथ
कमबख्त मेरी ख्वाहिशें भी मुझसे ज़्यादा मेरे अपनों की थी।

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27 JAN 2021 AT 3:45

ढूंढना : TO FIND
तुझमें ढूंढ रहा हूं वो जो कबसे मुझसे छुपी है,
मेरी वो हसीं जो तेरे होठों पे बसी है।

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20 JAN 2021 AT 0:06

उनके प्यार में सच्चाई कितनी ?
जो हर हसीन चेहरे को अपना यार समझे,
मेरे दिल में तन्हाई कितनी?
जो उनके जूठे जज्बातों को भी प्यार समझें।

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