Dhruvraj jii Jakhotra   (ध्रुवराजजी जाख़ोत्रा)
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गुढ़,रहस्य,साहित्य,संगीत,ईतिहास,फोटोग्राफी
संसोधन,निजानंद,भ्रमण,क्रांति,राष्ट्र,शाश्वत
Joined 22 May 2019


गुढ़,रहस्य,साहित्य,संगीत,ईतिहास,फोटोग्राफी
संसोधन,निजानंद,भ्रमण,क्रांति,राष्ट्र,शाश्वत
Joined 22 May 2019
8 APR AT 12:32

तुम्हारा होकर नहि,तुमसे होकर गुजरना पर्याप्त है,
जहां जायेंगे तुम्हे हि पायेंगे,हर जगह तुम्हारा ही तो व्याप है ।

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1 APR AT 14:11

तुम ना समझो तुम्हारा मुकद्दर हुं में,
में समझता हुं तुम मेरी तकदीर हो ।

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29 MAR AT 1:52

न जाने यहां से कितनी चेतनाएं गुजरी.?
कितने काल बीत गए.?
बहोत कुछ बदल गया
लेकिन फिर भी क्या नहि बदला.?
समय गुजर गया लेकिन स्थल रहे गया,
एक दिन स्थल गुजर जाएगा,
और समय रहेगा ।

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13 FEB AT 14:12

तुम,,,,,,,,,,,,,,

माया के आवरण में स्थित
वास्तविकता का वह द्वार हो,
जो परमसत्य की और ले के जाता है ।

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5 DEC 2024 AT 20:38

સ્વયં હું જ રાહી, સ્વયં હું જ મંઝિલ,
મળી છે મને સ્થિરતા ધ્રુવ જેવી,
સદીઓ થી મારી ખબર છે દિશા ને,
યુગોથી મને કાફલા ઓળખે છે.

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13 SEP 2024 AT 13:46

મારો હાથ ઝાલીને લઇ જશે મુજ શત્રુઓ જ સ્વજન સુધી............

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1 SEP 2024 AT 17:34

दबी चिंगारी को जगाने की,
मंद प्रकृति को महेकाने की,
क्रांति के विचारो को सजाने की,
कलियुग का घमंड तोड़के
नया युग लाने की,
ये लड़ाई झारी रहेगी ।।

भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने की,
दूषित आचरण को दंड देने की,
अंधकारको चीर उजाला फैलाने की,
खुद फना होकरऔरों को राह
दिखाने की,
ये लड़ाई झारी रहेगी ।।

भ्रम की भुलभुलैया में जाग्रत रहेने की,
असत्य के राज में सत्य को समजने की,
पाखंड के माहौल में परम से
रूबरू होने की,
तिमिरधुत बनने की और शाश्वत को प्राप्त होने की,
ये लड़ाई झारी रहेगी ।।

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31 JUL 2024 AT 12:57

तुम,,,,,,,,,

शब्द और भाषाओं की सीमा से परे,
ब्रह्मांडीय कंपन का नाद हो ।

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19 JUN 2024 AT 13:09

સ્વમાની છુ હું વિણ આવકારે ત્યાં નહિ આવું,
અગર તું દઈ શકે મુજને તો ધરતી પર ગગન દેજે.

- નાઝીર દેખૈયા

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11 JUN 2024 AT 13:00

तुम,,,,,,,,,,

सफर नहि हो कुछ दिनों का,
मुद्दत गुजर जाती है रूह तक पहुंचने में ।

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