तुम्हारा होकर नहि,तुमसे होकर गुजरना पर्याप्त है,
जहां जायेंगे तुम्हे हि पायेंगे,हर जगह तुम्हारा ही तो व्याप है ।
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संसोधन,निजानंद,भ्रमण,क्रांति,राष्ट्र,शाश्वत
तुम ना समझो तुम्हारा मुकद्दर हुं में,
में समझता हुं तुम मेरी तकदीर हो ।-
न जाने यहां से कितनी चेतनाएं गुजरी.?
कितने काल बीत गए.?
बहोत कुछ बदल गया
लेकिन फिर भी क्या नहि बदला.?
समय गुजर गया लेकिन स्थल रहे गया,
एक दिन स्थल गुजर जाएगा,
और समय रहेगा ।-
तुम,,,,,,,,,,,,,,
माया के आवरण में स्थित
वास्तविकता का वह द्वार हो,
जो परमसत्य की और ले के जाता है ।-
સ્વયં હું જ રાહી, સ્વયં હું જ મંઝિલ,
મળી છે મને સ્થિરતા ધ્રુવ જેવી,
સદીઓ થી મારી ખબર છે દિશા ને,
યુગોથી મને કાફલા ઓળખે છે.-
મારો હાથ ઝાલીને લઇ જશે મુજ શત્રુઓ જ સ્વજન સુધી............
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दबी चिंगारी को जगाने की,
मंद प्रकृति को महेकाने की,
क्रांति के विचारो को सजाने की,
कलियुग का घमंड तोड़के
नया युग लाने की,
ये लड़ाई झारी रहेगी ।।
भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने की,
दूषित आचरण को दंड देने की,
अंधकारको चीर उजाला फैलाने की,
खुद फना होकरऔरों को राह
दिखाने की,
ये लड़ाई झारी रहेगी ।।
भ्रम की भुलभुलैया में जाग्रत रहेने की,
असत्य के राज में सत्य को समजने की,
पाखंड के माहौल में परम से
रूबरू होने की,
तिमिरधुत बनने की और शाश्वत को प्राप्त होने की,
ये लड़ाई झारी रहेगी ।।-
तुम,,,,,,,,,
शब्द और भाषाओं की सीमा से परे,
ब्रह्मांडीय कंपन का नाद हो ।-
સ્વમાની છુ હું વિણ આવકારે ત્યાં નહિ આવું,
અગર તું દઈ શકે મુજને તો ધરતી પર ગગન દેજે.
- નાઝીર દેખૈયા-
तुम,,,,,,,,,,
सफर नहि हो कुछ दिनों का,
मुद्दत गुजर जाती है रूह तक पहुंचने में ।-