सुनो,
कुछ बातें अधूरी रहने दो।
अधूरी इसलिए कि कल जब हम फिर से मिलें,
तो बात करने के लिए कुछ बचा हो हमारे पास।
और कल भी,
अधूरी छोड़ देना कुछ गुफ़्तगू फिर से।
इसलिए नहीं कि मैं चीज़ों से भागना चाहता हूँ।
इसलिए भी नहीं कि हमारी बातों में अब मज़ा नहीं रहा।
बल्कि इसलिए कि कल जब हम फिर मिलेंगे,
अधूरी बात पूरी करने की चाह लिए,
तो उस बात में कुछ अलग ही बात होगी।
सुनो,
सारी बातें पूरी हो गईं तो ज़िंदगी बहुत बेज़ार हो जाएगी।
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