Dhruv Tara   (ध्रुवतारा)
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Joined 21 July 2020


Joined 21 July 2020
29 JAN 2022 AT 21:18

"When you do things from your soul,you feel river flowing in you,a Joy"

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21 MAY 2021 AT 15:17

सुन लिया राग प्रकृति ने
अलाप और संताप प्रकृति ने
किंतु जीवन अचल नही है
परिवर्तन ही इसका नियम है
मानव को हाथ बढ़ाना होगा
छलांग गगन में लगाना होगा
रुकी हुई जिंदगी अंत नहीं है
ये किस्सा में एक अल्पविराम है

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19 MAY 2021 AT 22:49

कुछ उम्मीद थी
मन्नत के कुछ धागे थे
पतझड़ में भी कुछ फूल खिले थे
बड़े जतन से रोका था
आंखों में एक सागर था

कुछ सागर थे जो मरुस्थल हो गए

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18 MAY 2021 AT 0:13

How sun brightly shines in the sky
I just want to write the sorrow sung by firefly

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18 MAY 2021 AT 0:08

और पुकार लेता है
खींच लेता है हमें रौशनी की ओर

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16 MAY 2021 AT 17:36

अपने हिस्से की धूप न सही
पर उदास आंखों को अपनी मुस्कान देना
न हो सके मुमकिन दे पाना दुनिया जहां की नेमतें
फिर भी काली रातों में किसी का उजाला बनें

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16 MAY 2021 AT 17:28

Is more fragile then
Life itself

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16 MAY 2021 AT 17:27

और दिल बेहद ख़ामोश है
ये काली रात में कश्तियां हम कहां पे छोड़ दे
होगी सुबह और धूप भी आएगी
कुछ पल ठहर , और खुशियां भी मुस्कराएगी।

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5 MAY 2021 AT 23:50



अभी रुकी है जिंदगी
की कुछ घाव बहुत गहरे है
ये काली रात को पता नही
हम सूरज की खोज में निकले है

मुट्ठी में सितारें है लेकिन
पांव पे अभी पहरे है
कुछ दर्द मुझमें ठहरे है

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26 APR 2021 AT 0:31

दिल में उतर
रात को भीगी पलकों से झाड़ जाती है
सफ़र में सुबह होगी
एहसास दिल को दे जाती है

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