वो एक अखबार के पन्ने पर छपी खबर पर आ जाये तो रोटी लिपट लूँ
और वो लाज़मी भी है ,एक वक़्त मैंने उसे सबसे पहले रख के जो देखा था
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कर याद अगर दोबारा लिखता तो यार फिर उस गली का चौराहा लिखता
मुझे इल्म था कि वो लौटेगा नहीं इसी बात का गम मुझे सौ बारा दिखता
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तन्हाई में जब खुद से बात हुई,
अकेलेपन की जिंदगी खास अधूरी भी नहीं लगी !!
मुझे डर था वो अगर गई ,
जब कुछ महीने बीते उसके बिना वो खास भी नहीं लगी !!
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जिंदगी चलती रही कुछ सही और ग़लत के पड़ाव में मगर वो महफ़िले आबाद करता था
फिर एक दिन उसने काग़ज़ थाम लिया जो हाथ थामने की क़ाबिलियत रखता था
आज मुस्कुराता है शायर शाम में दिन भर सबको हसाने के बाद मगर अफ़सोस उसको भी है
की वो कौनसा ख़्वाब देखता था और किसके लिए फ़रियाद करता था
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आज कल का किस्सा लगता है कभी वो नज़र आए तो जैसे अपना हिस्सा लगता है
ख़बर है मुझे अजनबी हो गए अब वो मगर सामने आया तो मुस्कुराऊँगा मैं ख़ैर अब कहाँ कोई खलता है-
बेहद सुकून और लत के बीच सरहदे हैं उम्मीद पर मेरी दिल दारी है
किसी के लिए कोई फ़र्ज़ भी नहीं है मगर दोस्ती की मिसाल जारी है-
चुपचाप बैठे हैं, कोई सवाल नहीं करते,
दिल की दुनिया में अब हम बवाल नहीं करते।
जो भी आया, साया बनकर चला गया,
अब किसी को पास आने का ख़्याल नहीं करते।
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मेरी सादगी पर तरस आ जाता उसको तो उसे दिखावटी मुसीबतों से निजात मिल जाती
मसला अब ये रहा की उसको जमाने के साथ चलने की आदत थी काश वो कहीं ठहर पाती
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जरा सा सिमट ही जाते कभी मिलके वो तो हम बिखर भी जाते
बात करते कभी चाय की चुस्की लेके शायद दोनों निखर भी जाते
कोई रुका कोई मजबूरी बताने को आज में रहते तो निभा भी जाते
किसी को बस अपना ही ख्याल रहा सामने भी समझते तो ढल भी जाते
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मुझे उसके हाथ से निवाला खाना था इसी लिए एक दिन टिफिन भी उसके घर भूल आया
जानता था वो बस दोस्त है एक बेमिसाल और बात क्या करता टिफिन जब ख़ाली उसने लौटाया
🤗😊
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