19 OCT 2017 AT 20:45

अपनी आग भी बूझ चुकी थी, हम खाक भी थे हो गये...

एक चिंगारी बची थी दिल मे लेकिन,

उसी के सहारे हम रिहा हो गये...

- Dhruv Kayasth