अपनी आग भी बूझ चुकी थी, हम खाक भी थे हो गये...एक चिंगारी बची थी दिल मे लेकिन,उसी के सहारे हम रिहा हो गये... - Dhruv Kayasth
अपनी आग भी बूझ चुकी थी, हम खाक भी थे हो गये...एक चिंगारी बची थी दिल मे लेकिन,उसी के सहारे हम रिहा हो गये...
- Dhruv Kayasth