उसकी नज़रों ने मुझे कहा बहोत कुछ
मगर मिल के कभी कुछ सुनाया ही नहीं
मेरा इश्क यूं तो मुकम्मल हुआ, मगर हुआ भी नहीं...
खुशबुओ को उसकी आदत बना ली मैंने
पर कभी उनको छुआ तो नहीं,
उसने कांधे पर मेरे सर रखकर रोया,
लेकिन खिलखिलाया नहीं,
रात की चांदनी धूप बन गई सुबह की
बस बातो बातो में,
तेरे बालो को मैंने खोला भी नहीं?
मेरा इश्क यूं तो मुकम्मल हुआ, मगर हुआ भी नहीं...
है महोब्बत है महोब्बत कहते रहे तुझसे कानो में,
फिर भी ज़माने को लग गई खबर
और तुझे पता भी नहीं,
इंतज़ार ने मारा सदियों मेरी हकीकतों को,
और मैने एक पल तेरे प्यार का
ख्वाबों में भी जीया नहीं...
मेरा इश्क यूं तो मुकम्मल हुआ, मगर हुआ भी नहीं...
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As the nights dwell into the could have beens
Where times have been scarce for an eye to eye
My soul yearns for you and asks,
Will there ever be a heart to heart? 💙
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अपनी बातों को रख लूंगा संभाल कर
उनको बताऊंगा तुझे कभी और...
तू भी थम जा मेरी तरह यूं ही चलते हुए
इस शहर को देख लेंगे कभी और...
मैं तारीफों के पुल बांध लूंगा कभी और,
तू भी अपने शिकवे सुना देना कभी और,
अब आज जो मिले हैं इतने दिनों के बाद,
तू बस जरा ठहर के मुझे देखने तो दे तेरी ओर...
लग तो रहा है वहम सा,
पर सोचता हूं कभी सच हो जाएगा,
अगर खामोशी ले आया मैं, तो वक्त रुक जाएगा,
मैं देख लूंगा तुझे जी भर के और तेरी नजर मेरी ओर...-
न लफ्ज़ थे, न आहटें, न हिलना था दोनों के होंठों का,
पूछे कोई ज़माने से तो कहेंगे कोई बात हुई ही नहीं...
पर दो आंखों में इतनी कहानियां नहीं देखी मैंने कहीं,
जो बिना कुछ बोले तूने मुझसे कही...-
ये बारिशें बड़ी प्यारी महसूस होती थी तेरी बातों के साथ
आज तन्हाइयों में बूंदों ने बहेरा कर दिया जैसे
अब तो बस सोचता हूं इन्हें देखकर मेरी खिड़कियों पर गिरते हुए
कि तुम भी देख रही होगी उनको उसी पल, अपनी खिड़कियों से-
कुछ बातें हो तेरी और मेरी बिना किसी दर्द के
मैं गिले सभी छोड़ कर आऊं
थोड़ा तू समझ ले मुझको और थोड़ा मैं तुझे,
मैं हर दरगाह सिर रखकर आऊं
मेरे कान ढूंढे तेरे लफ़्ज़ों को,
आंखें व्याकुल तेरी एक झलक को
हर बेताबी अब कैसे समझाऊं,
एक रोज़ उठु, तेरी ओर चलूं,
तुझे देख लूं एक बार करीब से, फिर चाहे यूं ही मर जाऊं-
तुमसे दूर जो हैं तो सोचते हैं
कि जब फिर मिलेंगे क्या होगा
गर दूर से दिखाई दोगे
तो हंस लेंगे दिल समेट कर
गर बात करोगे माफी देकर
तो रो पड़ेंगे खुश होकर...-
एक भीड़ थी मेरे करीबन की
उसमे वो सबसे खास था
छोटी सी उस भीड़ में
सबसे समझदार
पर उस एक ने भी ना समझा मुझे
भीड़ के बाकी लोगों की तरह
और फिर एक बार,
मैं भीड़ में अकेला रह गया...-
कोई कह दे मुझे वो नहीं था प्यार, तो मैं कहुं उसे झूठ
मैं हो जाऊं किसी और का तेरा होने के बाद तो समझना झूठ-
Two souls, too damaged to be repaired
maybe perfect together
yet a complete fail
it's when you see the shards
of the broken dreams on the floor
then you understand
love is a luxury only happy people can afford-