राहों में कुछ हसीन नज़ारे हमे भी दिखे थे ऐ गालिब।
वफ़ा कहो या तुम्हारी नज़र बंदगी, हमने मुड़ के भी ना देखा।
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बदलते वक्त ने मानो दोस्तों के मिलने के मकसद को ही बदल दिया।
वक्त वो भी था जब यूं ही बेमकसद चले आते थे शाम होते ही।
वक्त ये भी आया की अब ये तभी मिलते हैं जब महफिल में जाम हो, या कोई काम हो या आखरी राम नाम हो।-
नज़र झुका के कर रहा है तू खूब नादानियां
नहीं देख रहा कोई, करूंगा अपनी मनमानियां
समझाया तुझे, क्योंकि दोस्त है तू मेरा
उस कमाई से घर चलता है पगले तेरा
जरा नज़र उठा के देख,
कर्मा सब हिसाब कर रहा तेरा।
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बातें तो हुई, मगर पहले वाली बात न थी।
अल्फाज तो कम थे ही, घड़ी पे ताक भी थी।
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ऐ सरहद के रक्षक, तुझे दिल से सलाम है मेरा।
तूने मूह तोड़ जवाब दिया, जब भी दुश्मन ने है घेरा। अपना घर छोड़, आशियाना बचा लिया तुमने मेरा।
ऐ सरहद के रक्षक, तुझे दिल से सलाम है मेरा।
बन सकता था तू कुछ भी, देश का जवान बना तू मेरा। भारत मां की रक्षा के लिए, खून बहा है तेरा।
ऐ सरहद के रक्षक, तुझे दिल से सलाम है मेरा।
वायू, जल हो या स्थल, बाज़ की आंख रखता है जवान मेरा। आंख उठा के देख न लेना, ये महाकाल है तेरा।
ऐ सरहद के रक्षक, तुझे दिल से सलाम है मेरा।-
स्पर्धा तो चिड़ियों के झुंड में होती है।
बाज़ तो अकेला ही आसमान की ऊंचाइयों को छू जाता है।
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अभी तो तुम्हे जाना ही है।
थोड़ी दूर तो साथ चलो, अभी तो हाथ थामा ही है।
थोड़ी दूर तो साथ चलो, अभी तो अपना माना ही है।
थोड़ी दूर तो साथ चलो, अभी तो बातें शुरू हुई ही हैं।
थोड़ी दूर तो साथ चलो,
अभी तो दिल पे दस्तक हुई ही है।-
रोज़ की तरह मैं थका हारा घर आया था, दरवाजे पे उसका मासूम चेहरा नज़र आया था।
एक दौर पीछे छोड़ आया था,
मेरी गुड़िया ने जब पहली दफा पापा बुलाया था।
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