क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो;उसको क्या जो दन्तहीन, विषहीन, विनीत, सरल हो।
&कुरुक्षेत्र&
*रामधारी सिंह दिनकर*

- धर्मेन्द्र शर्मा ✍ख़ुदरंग