माटी की माया है सारी ,मुझमें तुझमें जीव जगत में,माटी ही है हर कण–कण में ,पंचतत्व से बनता सब कुछ ,तू है नश्वर , मैं भी नश्वर -
माटी की माया है सारी ,मुझमें तुझमें जीव जगत में,माटी ही है हर कण–कण में ,पंचतत्व से बनता सब कुछ ,तू है नश्वर , मैं भी नश्वर
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“ हर वक्त तेरा ख्याल अब आता है ,इश्क है फिर भी कहा नही जाता है " -
“ हर वक्त तेरा ख्याल अब आता है ,इश्क है फिर भी कहा नही जाता है "
“ मुश्किलें ही तो मजा देती है, मंजिल के सफर में ,गर यूंही मिल जाए तो ,घर से निकले कोन " -
“ मुश्किलें ही तो मजा देती है, मंजिल के सफर में ,गर यूंही मिल जाए तो ,घर से निकले कोन "
“उसको कहा इल्म ,मेरे हाल का ,राते गुजर जाती है ,इंतजार में " -
“उसको कहा इल्म ,मेरे हाल का ,राते गुजर जाती है ,इंतजार में "
“समय चक्र किसका हुआ, कोन इसका खास है ,कल जिनको भ्रम था ,वो आज मात्र राख है " -
“समय चक्र किसका हुआ, कोन इसका खास है ,कल जिनको भ्रम था ,वो आज मात्र राख है "
“हर एक वादे का तेरे यही अंजाम निकला , तू अदाकार उम्दा ,आशिक बेगैरत निकला" -
“हर एक वादे का तेरे यही अंजाम निकला , तू अदाकार उम्दा ,आशिक बेगैरत निकला"
“मिले है तो बिछड़ना भी है इक दिन ,दुनिया में क्या है सदा के लिए " -
“मिले है तो बिछड़ना भी है इक दिन ,दुनिया में क्या है सदा के लिए "
“हर बार तेरा जिक्र यूं ही हो जाता है,जैसे हर लफ्ज़ अधूरा हो तेरे बिन" -
“हर बार तेरा जिक्र यूं ही हो जाता है,जैसे हर लफ्ज़ अधूरा हो तेरे बिन"
“मुलाकात जिनसे हर रोज हुआ करती थी ,आज हाल पूछे भी अरसा बीत गया " -
“मुलाकात जिनसे हर रोज हुआ करती थी ,आज हाल पूछे भी अरसा बीत गया "
“अब लम्हा लम्हा होना तेरा , गवारा नही ,मेरे हर किस्से में तू जरूरी चाहिए " -
“अब लम्हा लम्हा होना तेरा , गवारा नही ,मेरे हर किस्से में तू जरूरी चाहिए "