Dhirendra Pratap Singh   (धीरेन्द्र)
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SOFTWARE ENGINEER
Joined 22 December 2018


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26 DEC 2021 AT 18:47

माटी की माया है सारी ,
मुझमें तुझमें जीव जगत में,
माटी ही है हर कण–कण में ,
पंचतत्व से बनता सब कुछ ,
तू है नश्वर , मैं भी नश्वर

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23 DEC 2021 AT 22:01

“ हर वक्त तेरा ख्याल अब आता है ,
इश्क है फिर भी कहा नही जाता है "

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21 DEC 2021 AT 22:51

“ मुश्किलें ही तो मजा देती है, मंजिल के सफर में ,
गर यूंही मिल जाए तो ,घर से निकले कोन "

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21 DEC 2021 AT 19:32

“उसको कहा इल्म ,मेरे हाल का ,
राते गुजर जाती है ,इंतजार में "

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20 DEC 2021 AT 16:18

“समय चक्र किसका हुआ, कोन इसका खास है ,
कल जिनको भ्रम था ,वो आज मात्र राख है "

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20 DEC 2021 AT 15:52

“हर एक वादे का तेरे यही अंजाम निकला ,
तू अदाकार उम्दा ,आशिक बेगैरत निकला"

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19 DEC 2021 AT 17:54

“मिले है तो बिछड़ना भी है इक दिन ,
दुनिया में क्या है सदा के लिए "

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18 DEC 2021 AT 23:43

“हर बार तेरा जिक्र यूं ही हो जाता है,
जैसे हर लफ्ज़ अधूरा हो तेरे बिन"

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18 DEC 2021 AT 23:38

“मुलाकात जिनसे हर रोज हुआ करती थी ,
आज हाल पूछे भी अरसा बीत गया "

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17 DEC 2021 AT 21:37

“अब लम्हा लम्हा होना तेरा , गवारा नही ,
मेरे हर किस्से में तू जरूरी चाहिए "

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