धीरज सिंह राजपूत   (✍धीरज सिंह 'मस्ताना')
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मस्त मौला
Joined 10 April 2018


मस्त मौला
Joined 10 April 2018

हम उनके सहारे मझधार में ही झूल जाते हैं,
वह कहते रुको आ रहे और भूल जाते हैं ।
कहना जो चाहें कुछ तो कह भी नहीं सकते,
कुछ बोल दो तो नथुने उनके फूल जाते हैं।।

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अपने आप में,
क्यों रखता नही भरोसा मेल-मिलाप में।
है अपने दुख की चिंता तनिक भी नहीं,
हर इक ही खपा जा रहा है परसंताप में।।

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वही गलत हो ये ,
बिना दो पात्रों के कोई कहानी पूरी नहीं।
मिलकर मुकम्मल करेंगे दास्तां ए जिन्दगी,
छोड़ेंगे अपने प्यार की कहानी अधूरी नही।।

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रुशवा हम तुम हो जाते हैं।
माथे की रौनक जाती है,
गुमसुम गुमसुम हो जाते है।।
सुनते ही बस नाम तेरा हम,
रुनझुन रुनझुन हो जाते है।
एक दूजे की चाह भी है पर,
ख़फ़ा क्यूं हम तुम हो जाते हैं।।

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दुनिया के सब रिश्ते झूठे,
और सब मोह - माया है।
सच्चे केवल मात-पिता हैं,
जिनकी तुम पर छाया है।।

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इक दिन बीता जैसे कि जिंदगी बिती,
लग रहा कि हो गई है श्रृष्टि की इति।
जो था पहले हो गया वही हयात-ए-कल,
सौ दिवस का लग रहा है एक-एक पल।।

जाने क्यूं फंसे हुए है मोह जाल में,
क्यों न हम समा जाएं काल गाल में।
क्या है ऐसा रोकता जो बार-बार है,
जबकि यहां झूठ का ही कारोबार है।।

चंचल मेरा मन अब एकांत चाहता,
कर दूं खुद को बिल्कुल विश्रांत चाहता।
अब नहीं बहाऊंगा कदापि चक्षु-नीर,
दिखेगी न पीर, बनूंगा मैं धीर-वीर।

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लड़ने का ढंग सिखाने के लिए शुक्रिया,
प्यार भरी जंग दिखाने के लिए शुक्रिया।
अभी तो हमने, उड़ना शुरू किया था ,
टूटे हुए पंख दिखाने के लिए शुक्रिया।।

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दुनिया की परवाह करो पर,

सब का आदर भाव भी करो
पर अपना सम्मान ना खोना।।
बात जहां बन जाए आन की
कभी नहीं नतमस्तक होना,
अपनी सोच सदा तुम प्यारे,
सबके लिए मुलायम रखना।
दुनिया की परवाह करो पर,
खुद से रिश्ता कायम रखना।।

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समझ न पाए उल्फत क्या है
जाने भी ना चाहत क्या है
फिर भी किसी पे मरता जाए
दिल तेरी दिक्कत क्या है

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क्यूंकि दूरियां न कम हुईं।
मिलना तो चाहे मगर
मजबूरियां न कम हुईं।।
उससे करके भी वफ़ा
हमको मिला है ये सिला।
वो तनिक न खुश हुई
रुश्वाईयां न कम हुईं।।

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