Dheeraj Singh   (#✍धीरज कुमार सिंह)
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Joined 5 June 2019


Joined 5 June 2019
4 NOV 2021 AT 9:45

दीप स्नेह का जले हृदय में
सब के आंगन उजियारा हो ।

जगमग जगमग दीपक जले
जग में खुशहाली सारा हो ।

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30 JUL 2021 AT 7:53

मैं , तुम और प्रेम ।

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22 JUL 2021 AT 8:47

प्रेम~ एक निःस्वार्थ पैदा होने वाली भावना, जिसको हम प्रेम का रूप देते हैं ।

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20 JUL 2021 AT 6:15

प्रेम~ वह शब्द है जिसकी व्याख्या करना असंभव है, पर इसमे जीवन छुपा है।

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17 JUL 2021 AT 9:10

प्रेम वह सत्य है ,
जो सब कुछ असत्य होने का परिचय देता है ।

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28 FEB 2021 AT 12:02

रैन दिवस सब भूल गया रे मन,
जब हुआ प्रथम प्रेम आगाज।

कछुको ना भावत, कछुको न समुझत,
बस सुनत ह्रदय प्रेम के ही एक नाद ।

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25 FEB 2021 AT 18:46

निकालते हो भर्तीया मगर इम्तिहान कहा है,
लेते हो परीक्षा मगर इसका परिणाम कहा है ।

निकलने पे परीक्षा भी जोड़ने का नाम कहा है
क्या खो चुके है युवा यहाँ अधिकार अपना
और अगर नहीं
तो बताओ इनका सम्मान कहा हैं।

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14 FEB 2021 AT 9:35

ये पूरी दुनिया और इस दुनिया की बात एक तरफ ,
वो जो पहली बार तुमसे मिला, वो पहली मुलाकात एक तरफ ।

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7 FEB 2021 AT 8:57

हमे कुबूल नहीं किसी बहाने भी किसी से जुड़ना तेरा,
फकत नफरत भी कीजिए, तो आप हमसे ही कीजिए।

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17 JAN 2021 AT 17:20

🚩🇮🇳

जीवन में हम यह बेहतर समझते हैं कि बंदूक जब सैनिक के हाथ में हो तो उसका उद्देश्य अलग होता है *जब डाकू के हाथ में हो तो अलग* चाकू अगर चिकित्सक के हाथ में हो तो अलग और *अपराधी के हाथ में हो तो अलग* कैंची *दर्जी के हाथ में हो तो* अलग कार्य निष्पादित होता है और वही अगर जेबकतरे के हाथ हो तो अलग ।

अभिप्राय यह है कि महत्वपूर्ण हाथ है *हथियार नहीं* निष्कर्ष यह है कि हमारे कर्म में निहित उद्देश्य ही हमारी प्रशंसा या निंदा का आधार होते है *हम जो भी कार्य जीवन में कर रहे हों* अवश्य ही आश्वस्त हो लें कि इसके परिणाम *मानवता के अनुकूल* हैं या नहीं *…*…

फिर हमारी *जीवन यात्रा की पवित्रता स्वतः ही प्रमाणित हो जाएगी ।

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