मत छेड़ो आज शायरी के इस सैलाब को,
आज हम अन्दर से भरे बैठे है;
सोच रहे है कसूर किया था या खुद बखुद हो गया,
जो सजा पाकर हाथो पर हाथ धरे बैठे है।-
23 JUN 2019 AT 15:07
मत छेड़ो आज शायरी के इस सैलाब को,
आज हम अन्दर से भरे बैठे है;
सोच रहे है कसूर किया था या खुद बखुद हो गया,
जो सजा पाकर हाथो पर हाथ धरे बैठे है।-