Dheeraj   (धीरज कुमार सोनी)
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Joined 24 January 2019


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15 FEB 2023 AT 1:46

बैठे-बैठे अंजुमन में मन को
कहीं ले जा रहे है हम
तुम्हारे ही ख्यालों में अब
खोए जा रहे है हम
तुम्ही तुम हो अल्फाज़ मेरे लबों पर
इतर नाम न अब होगा
तुम्हारी याद में मेहरम
दूजा काम न अब होगा
तुम्हारे बिन ही जी लेंगे
नाम बदनाम ना होगा

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14 MAY 2022 AT 21:50

"संघर्ष"

(1)
जो संघर्षों से लड़ा है
वही तो आगे बड़ा है।
जिसने खायी कभी ठोकर
वही तो आज खड़ा है।।

(2)
सहकर जाने कितने गमों को
रातों से जो लड़ा है।
जिसने खायी कभी ठोकर
वही तो आज खड़ा है।।

(3)
पता नहीं मंजिल की चाह में चलते-चलते
जाने कितनी राहों से वो लड़ा है
जिसने खायी कभी ठोकर
वही तो आज खड़ा है..।।

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14 MAY 2022 AT 21:30

"नीड़ के निर्माण को परवाज़ दे गया कोई "

आँखों में कुछ सपने लिए
रातों को जागा होगा कोई
बस इसी एक उलझन में
सब तृष्णाओं से भागा होगा कोई
बार बार इन सपनों ने
मुझको भी झकझोरा है
किताबों और शब्दों में खोकर
मंजिल रूपी कल्पवृक्ष को पायेगा वो ही
जैसे नीड़ के निमार्ण को
परवाज दे गया कोई... ।।1।।
माना है मैंने हे मुसाफ़िर....
राहों में मुश्किलें होगी हजार
तुझे है अपनी मंजिल पर जाना
तो कर तू खुद पर एतबार
एक बात समझ ले तू
मंजिल से प्रीत करते है, सभी
उस मंजिल के सफर को
अंजाम दे गया वो ही
जैसे नीड़ के निमार्ण को
परवाज़ दे गया कोई....ll2ll

✍️ DHEERAJ






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13 FEB 2019 AT 12:05

नन्ही परी

मेरा एक सपना है
सपनो में कोई अपना है
उन अपनों में एक नन्ही सी जान है
जिसके साथ जुड़े मेरे अरमान है
काश मेरा ये सपना सच हो जाए
उस दिन दुनिया की सारी
मुझे खुशियां मिल जाए
उस नन्ही सी परी के आने से
दिल मेरा फुले न समाये
उसके आने से जीवन में खुशियां आए
जब उसके कदम आएं
मेरे सारे सपने सच हो जाए
मेरी नन्ही जान से मेरी नजर हट न पाए
काश मेरे ये सपने पूरे हो जाए
मेरी दुनिया में भी एक नन्ही परी आए

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27 JAN 2019 AT 12:24

मेरे पापा

पिता है मेरी पहचान
पिता है मेरा सम्मान
पिता के सपने
मेरे हे अरमान
उन्हें पूरा करना मेरा है बनता है फ़र्ज़
क्योंकि उनके है मुझ पर अनेक क़र्ज़
पिता ने मुझे अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया
खुद काटी भूख अपनी
हमें कमा कर खिलाया
पिता ने मुझे इस काबिल बनाया
कि दुनिया में मैने अपने आप को जताया
जो भी हूँ वो मेरे पिता की बदौलत
पिता ही मेरी जान और पिता ही मेरी अमानत
पिता का साया कभी दूर ना होने दूंगा
मर कर भी उनका सिर झुकने ना दूंगा
पिता की ख़ुशी में ही मेरी खुशी समझूँगा
और कह दूंगा उनसे की मस्ती में झुमूंगा
मेरे पिता मुझे समझते है ये मैं जानता हूं
मेरी गलतियों को वो जाने
ये मैं पहचानता हूं
मेरी खुशियों को जोड़कर
अपने आप को तोड़कर
मेरे पिता ने देखा है मेरे लिए एक सपना
उसे पूरा करना हक़ समझता हूं अपना
पिता से है नाम मेरा ,पिता से अरमान मेरा
पिता बिना संसार सुना है
पिता नहीं तो सब प्यार सुना है
पिता है मेरी पहचान
पिता है मेरा अरमान




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24 JAN 2019 AT 9:42

"तन्हाई"

बिखरे ख्वाब,टूटे सपने ,लेकर चलती तन्हाई है।
कोई ना जाने कितनी क्लिष्ट ,होती ये तन्हाई है।

ये माया का संसार न जाने ,क्या समझाना चाहता है
दुनिया की कोरी भीड़ में क्या सिखलाना चाहता है

मैं इस माया के संसार को, तोड़ के आना चाहता हूँ
इस माया के संसार को ,छोड़ के जाना चाहता हूँ ।

दर्द किसी का क्या लेगा ,इतना भी कोई हमदर्द नहीं
तन्हाई तन्हाई है, खुशियों का यहाँ मंजर नहीं ।

जीना मुझे आता नहीं ,तन्हाई मुझे सिखला देगी ।
अश्रुओं की धार से ही ,जीना मुझे सिखला देगी ।

जो चहेरे हजार लिए फिरते,हेरा है वो इंसान नहीं ।
तन्हाई भी तन्हाई है ,किसी न्यायालय का बयान नहीं

ये दुनिया क्या जाने ,तन्हाई क्या होती है
तन्हाई एक अहसास है ,न की एक अल्फ़ाज़ है

तन्हाई को मैने जाना है ,तन्हाई को ही पहचाना है

साथ तुम्हारे सब है किन्तु ,फिर भी वही तन्हाई है
तन्हाई ,तन्हाई है लो तन्हाई तन्हाई।







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4 FEB 2020 AT 13:37

यह मत कहो किसी से की मुझे मिला ही नहीं..
ढूंढ़ने की हद तक तो तुम कभी गए ही नहीं..
असफ़ल कह दिया लोगों ने,
तो चलो असफल ही सही ....
बिना ठोकर खाये हुए आज तक
कोई सफल तो नहीं ?...
गिरे सम्भले दौड़े, पर चले तो सही
लाख रुकावटे आयी पर तुम रुके तो नहीं
रास्ते खो गए मंजिल खो गयी
भटके हुए हमराही ही सही...
अन्धेरी रातें ,काले बादल रोक पाए,
सूर्य का कभी रास्ता तो नहीं..
हार गए तो क्या तुमने कोशिश की तो सही
इतिहास साक्षी से घर बैठे मिली
किसी को मंजिल तो नहीं...
खो दिया कुछ तो दुख कैसा
रखो थोड़ा सबर तो सही ..
कुछ पा लिया तुमने तो अभिमान कैसा
पूरी दुनिया को जीता तो सिकंदर भी नहीं..

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2 DEC 2019 AT 20:27

"कभी गागर बनकर छलका तो
कभी मेरी दुआओं में शरीक हुआ
ये दिल्लगी ही ऐसी है जनाब
इसे किताब ए मोहब्बत♥️ में
माँ का प्यार कहा जाता है"

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23 AUG 2019 AT 23:24

ताज़ थे हम कभी नूर -ए
गुलशन गुलज़ार के..
हमराही थे आज हम...
हमराज़ बनकर रह गए


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28 JUL 2019 AT 20:13

तब तक आप नहीं हार सकते जब तक आपके प्रयास जारी रहते है जिस पल आपने प्रयास करने छोड़ दिये सफलता आपसे उसी पल दो कदम और दूर चली जाती है

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