किसी को यूँ ही बेवजह मिल गए हम
कोई हमें पाने के लिए मरा जा रहा...-
Dhashu Rahul, nåme is énőgĥ..
aŕřrived as leğeʼnd on May 5, 19... read more
कोरे कागज पर दिल के अरमान लिखता हूँ,
जो किसी को समझ में ना आए ऐसा फरमान लिखता हूँ,
किसी को अच्छा लगता, तो किसी को बुरा लग जाता है,
क्योंकि कलम के सहारे, मैं दिल के ज़ज्बात लिखता हूँ ....
छोटी सी लाइन में सारी बयान लिखता हूँ,
तुम पढ़ के रो दो बस ऐसा एक ख्याल लिखता हूँ,
हाथों की लकीरों वाली कहानियों में ,
मैं कभी-कभी अपनी तारीफ लिखता हूँ....
तुम्हारे रूह तक पहुंच जाए बस ऐसे पैगाम लिखता हूं,
मेरे कलम के सहारे तुम्हारे ज़हन में आ जाए मेरा ख्याल,
बस ऐसे ही कुछ जंजान लिखता हूंँ
और कहते हो ना तुम कि मैं कविताओं में खुशी का जिक्र नहीं करता,
हाँ यह सच है मैं कविताए थोड़ा उदास लिखता हूंँ .....-
मैं मर जाऊँगा तुम्हारे बगैर, कुछ ऐसे लफ्ज़ कहूँ क्या?
तुम आओगे मेरे जनाजे में शरीफ़ होने, यह मैं मान के चलूँ क्या?
और कहती हो ना मैं तुम्हारी जिंदगी बन चुका हूंँ,
तो बताओ ना इस जिंदगी के लिए अपनी जिंदगी दोगी क्या?
हर वादे , हर दिलासे , हर ख्वाबों को तोड़ दिया है तुमने,
और कहते थे जब भी जरूरत होगी तो पास होगे तुम मेरे,
आखि़र खता क्या हुई मुझसे? जो मिलना छोड़ दिया तुमने....
और तुमने कहा था जब भी याद करोगे मुझे,
ठीक सामने ही पाओगे मुझे,
अपने गोद में मेरा सर रख के , मेरे बालों को सहलाओगे तुम,
आज मैं चीख़ रहा ,चिल्ला रहा , हर पल , हर लम्हा , सिर्फ और सिर्फ तुझको पुकार रहा ,
बताओ न यार कब आओगे मिलने मुझसे?
एक बात तो बताओ ना यार , मेरे जनाज़े के दिन तो आओगे ना?
या फिर उस दिन भी कोई बहाना ही बनाओगे,
बता दो ना यार , कब आओगे मिलने मुझसे?
ये ये ये ये आँखे तुमको देखने को तरस गई ,
ये ये कान तुम्हारी आवाज़ सुनने को तरस गई है
ये रूह तो तुमसे मिलने को तो कबसे तरस रही है ,
ये धड़कने भी अब तो धीरे धीरे रुक रही है ,
एक बार मुझे एक आस तो दिला दो ,
इन रूहों को अपनी एक झलक तो दिखा दो ,
और तुमसे मिलने को मेरी साँसे बेकरार है ,
इन साँसों की बेकरारी एक बार तो मिटा दो ,
और मुझे बात भी दो ना यार, आख़िर कब आओगे मिलने मुझसे?-
किसी से बात करने के लिए तरसा हूँ मैं,
कोई मुझसे बात करने के लिए आज तड़प रहा ...-
किसी ने कहा की एक टीचर की जिंदगी होती है आसान,
मिलती है छुट्टियाँ उसको हज़ार..
बिता के अपने बचपन के पलों को, फिर बच्चे बनने का मिलता है चांस..
फिर मैंने उसको बुलाया, और अपने दर्द–ए-दिल की दास्ताँ बताया,
हाँ ये सच है,मिलती है छुट्टियाँ हमको हज़ार, ये अफवाहें मैंने भी सुनी है लाखो बार..
अरे छुट्टी के नाम पर हमें झाम मिलता है, उस छुट्टी के दिन भी,स्कूल का ही कोई काम करना होता है..
बच्चो के साथ मिल के बच्चा बनाना पड़ता है,
ये ना करिये,वो ना करिए, ऐसे ना करिए,वैसे ना करिए,
हमे दिन भर बस यही सुनना पड़ता है..
अरे स्कूल के चक्कर में, हमे अपने जिंदगी को भी भूलना पड़ता है..
और कल स्कूल में जा के क्या पढ़ाना है, इसका प्लान भी हमे पहले ही बनाना पड़ता हैं..
एक बार बच्चो की सुन लो, तो प्रिंसिपल की डाट सुनना पड़ता है,
मार-मार के,समझा-समझा के, हमें अपना कॉपी पूरा करना पड़ता है..
एक छोटी सी गलती का भी, हमे घंटो हिसाब समझाना पड़ता है,
और तबियत चाहे कितनी भी खराब क्यों न हो,
रोज़ सुबह स्कूल आना पड़ता है..
हर सुबह–शाम बस सन्डे–सन्डे कहते रहते है,
और अपने हर काम को बस उसी पर छोड़ते रहते है..
6 दिन के इंतज़ार के बाद आखिर वो दिन आ ही जाता है,
पर क्या फायदा ऐसे सन्डे का?
पूरा दिन तो कॉपी चेक करने में लग जाता हैं..
सब कहते है आसान है, एक टीचर है तो भगवान है,
पर भूल जाते वो सारे लोग,
अरे टीचर भी तो एक इंसान है..-
Ki kar ke hausala buland,
mujhe bs ek kaam krna h....
Sapno sa pyara ek chhota sa ghr ho humara,
Bs ye sapna mujhe mukaam krna h....
Aur jalte rahe ye duniya saari mujhse,
Mujhe bhi apne kuch aisa naam karna h...
Ki mujhe bs itna kaam krna h...
Dekh ke kamyaabi meri, log mujhse bhi rai manenge,
Sar jhuka ke apne, log mujhe bhi salaam karenge....
Aur kuch apno ki duaye aur kuch ke jalan ko,
Mujhse aise hi hmesha barkarar rakhna h...
Aur chumti rahe manzile mere ghar ke darwaje,
Mujhe bs itna sa mehnat kr ke naam krna h...
Mujhe bs itna sa kaam krna h....
Aur hoke rahega har sapna pura,
U hi nhi haar manana h...
Aur aaye laakho kaate mere raaste m,
Sabko kuchal kr bs apna naam krna h...
Ki mujhe bs itna kaam krna h....-
Maa sabki zindagi ko
sudhar deti h,
Kambakhat ye batwara,
Maa ko bhi baat deti h yrrr....-
Kb tk tum mere sang rahoge??
Mere saath hi rahoge ya kabre m bhi chaloge????-
Ki u hi nhi nahata hu mai,
Paani ko bachata hu mai...
Ki kuch hi boondo se,
Apne baalo ko sawarata hu mai...
Ki u hi nahi nahata hu mai,
Paani ko bachata hu mai...
Ki nahane se sarir se mail nikale ,
To wajan na kam ho jaye...
Bs isi baat se ghabarata hu mai,
Aur duniya ke soch se fark nhi padata h mujhe,
Jb marzi ho tbhi nahata hu mai...
Ki u hi nhi nahata hu mai.
Paani ko bachata hu mai..
Ki sarir ko rakhna h saaf to nahana zarurii h kya??
Paani ko barbaad kr ke, future khatre m daalna zaruri h kya???
Rakhta hu man ko saaf,
Tan se koi bhed bhav nhi krta....
Aur laga ke dubki ganga m,
U hi apne paapo Ko dhota nhi hu mai...
Ki u hi nhi nahata hu mai,
Paani ko bachata hu mai...-
Ki usne kaha ki kuch is kadar mujhse bhi baate kiya kro...
Mai tumhri hu aur hmesha tmhri hi rahungi,
kuch aisa lafz buna kro,
Aur har baar bina kuch bole hi phone rakh diya krte ho,
Are kbhi pyar se love you too jaan bhi to kaha kro...
Ki jaise muskurate ho waise muskuraya kro,
Apna jaadu mujhpe u hi chalaya kro...
Aur hmesha leke chalte ho saath mujhe,
Kabhi public m haath thaam ke bhi chala kro...
Ki jaise ho waise hi rahana,
Mere liye tum kabhi na badalna...
Laakho galtiya ho jaye mujhe,
Tum mere the, mere ho, aur mere hi rahana...
Jaan jaan kehti hu, jaan manti hu aapko,
Dil liya aur diya h, dildaar janti hu aapko...
Aur har baar mujhe hi paas aane ko kaha krte ho,
Are mai aa raha hu tumko lene, kabhi ye bhi to kaha karo...-