कह नही सकते कुछ बातें हमारी, समझा नही सकते कुछ जज़्बात हमारे, जता नही सकते कुछ दील की ख्वाइशें हमारी, दिखा नही सकते कुछ आँसू हमारे, लिख नही सकते कुछ दर्द हमारे।
बातें भी क्या करे उनसे, जिनके पास दो पल फुरसद के भी नही। इंतेज़ार भी क्या करे उनका, जिनके पास सबर का हुनर ही नही। ख्वाइशें भी क्या रखे उनसे, जो अपनी ख्वाईश भी मुकमल न कर सके। मोहब्बत भी क्या करे उनसे, जो किसीके मोहब्बत को समझ ही ना पाए।
पागल सा अकड़ू सा दोस्त है मेरा, रहता है नाक पे उसके गुस्सा। हर वक़्त मुझसे झगड़े, हर वक़्त करे अपनी मनमानी। ना जाने कैसा पागल है, समझ में ना आये किसीको। पागल सा अकड़ू सा दोस्त है मेरा, रहता है उसके नाक पे गुस्सा।