DHARMKANT LAL   (कान्त)
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यूँ ही सफ़र में चले हैं, रास्ते और मंजिले जिधर हैं।
Joined 29 April 2020


यूँ ही सफ़र में चले हैं, रास्ते और मंजिले जिधर हैं।
Joined 29 April 2020
29 OCT 2022 AT 15:44

,
इसमें सबका आना जाना है...
ज़िन्दगी की इस भाग दौड़ में,
कुछ खोना, कुछ पाना है...

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29 OCT 2022 AT 15:39

जुड़ भी गये तो,
एक कसक रह जायेगी।
अलगाव की फिर से,
एक वजह रह जायेगी।।

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29 OCT 2022 AT 15:31

अपनों की कमी को ,
कहाँ कोई पूरी करता है...
यादों के सहारे ही ,
अब तो जीवन गुजरता है...

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28 JAN 2022 AT 21:39

थोड़ा सा कुछ पाया है,
कोशिश है पाने की वो
जो अफ़सानों ने फरमाया है।— % &

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27 JAN 2022 AT 23:03

गुमसुम सा निहारते रहना,
यूँ आस लगाये रहना उसका
एकांत में खुद को सँवारते रहना।— % &

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26 JAN 2022 AT 15:21

भागीदारी सबकी है,
राष्ट्र के इस त्योहार में
हिस्सेदारी सबकी है।— % &

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26 JAN 2022 AT 11:41

यह लोकतंत्र हमारा है।
सबसे ये प्यारा है,
सबका राजदुलारा है।
इस पर कितनों ने तन मन वारा है,
हमारे संविधान ने इसको सँवारा है।— % &

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19 NOV 2021 AT 21:03

तुझसे दूर होकर ही तो,
पल पल मिट रहा हूँ ।
अब तो दुनियां से दूर,
खुद में ही सिमट रहा हूँ।।

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18 NOV 2021 AT 17:01

पता है सबकुछ,
बस बताते नहीं है।
महसूस करते है हर एक एहसास,
बस जताते नहीं है।।

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17 NOV 2021 AT 10:14

वो बचपन बड़ा मासूम था,
जहाँ कुछ भी ना हमें मालूम था।

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