कलम की स्याही खत्म हो गई, तो हमने महबूब से उनकी आँखों का काजल मांगा। पर शर्त थी कि, सिर्फ़ उसके लिए लिखूँ। फिर क्या था, देखो आज तक मैं बस लिख रहा हूँ।।
कैसे निर्दयी होते है कई इंसान। जिसे हम सबसे ज्यादा प्रेम करते है, वही हमें सबसे ज्यादा रुलाते है । और इतना रुलाते है, के हम ठीक-से साँस भी नहीं ले पाते।।