Dharmendra Kumar   (Dharmendra Kumar)
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Joined 2 January 2020


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Joined 2 January 2020
21 JAN AT 13:04

कुछ लोग ज्ञान दे रहें हैं कि धर्म निजी विषय है, अगर ऐसा होता तो दुनिया कैसी होती?
धर्म घर में होता, दुनिया में कोई धर्म स्थल नही होता।
इंसान ने धर्म बनाया और धर्म ने इंसान को इंसान।
फिर भी दुनिया लड़ रही।
यक्ष प्रश्न - चूक कहां हो रही है?

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13 JAN AT 19:58

तुम्हारा हाथ जो छूटा तो हम डूब ही जायेंगे,
इस भीड़ भरी दुनिया में हम कहां जायेंगे?

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13 JAN AT 19:36

"वक्त के साथ हर जख्म भर जाता है, लेकिन जो ना भरे तो समझ जाओ जख्म कितना गहरा है।"

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20 SEP 2023 AT 9:50

एक बार तो सागर की गहराई मापी जा सकती है,
लेकिन मन की गहराई मापने का अभी कोई यंत्र नहीं बना!

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11 JUL 2023 AT 8:05

चलो बाबा के धाम आया सावन का महीना
कर लो दान पुण्य निस्काम आया सावन का महीना
कर लो बेलपत्र से अभिषेक आया सावन का महीना
बम बम भोले हर हर भोले से आसमां गूंज रहा
जिधर देखो उधर कांवड़ियों का मेला चल रहा
चलो बाबा के धाम आया सावन का महीना
कर लो दान पुण्य निस्काम आया सावन का महीना।

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8 MAR 2023 AT 16:52

Women's makes the world, then get lost in the world.

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8 MAR 2023 AT 16:44

श्याम रंग से रंगा ये तन मन भूल गया मैं अपना रंग,
ऐसी प्रीत लगी श्याम की अब ना भाए कोई दूजा रंग।

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26 FEB 2023 AT 11:32

"आप जिसे पसंद नहीं करते उसका कोई भी विचार आपको कभी प्रभावित नहीं कर सकता हैं।"

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23 FEB 2023 AT 18:25

पर इतनी भी नही की जीया ना जाए।

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7 FEB 2023 AT 22:46

इश्क
गुलाब
सा
महक
जाए,
तो रोज़ डे,
रोज
मन
जाए।

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