Dharana arora   (Dharana)
48 Followers · 18 Following

Logophile
Joined 18 March 2018


Logophile
Joined 18 March 2018
31 JUL 2022 AT 23:45

शहर दो हैं, है रात वही
कहर है कहीं, तो सन्नाटा कहीं
है दोनो को मिलना, न मिल पाए कभी
है दोनो को जीना, के बस खो जाए कहीं
न वो कह पाया, न सुन पाई ये कभी
जो कह भी दे वो, न समझ पाई ये कभी
दिल दो हैं, है दिल की बातें भी कई
इस सन्नाटे का शोर, क्या समझा पायेगी वो कभी?

-


17 JUL 2022 AT 23:27

उनके पास क्या हो चले
ज़िंदगी से दूर हो चले हैं हम

थोड़ी ही दूर तो निकले थे
ये आख़िर कहाँ आ गए हैं हम?

आईने में जो देखूं खुद को
खुद ही को अजनबी लगते हैं हम

खुद को ढूंढने निकले थे
खुद ही को भूल आए हैं हम।

-


17 JUL 2022 AT 11:43

खुद ही के जज्बातों का राज़ है,
मेरे ख्वाबों पर मुझे ही ऐतराज़ है।

रातों में गूंजती कोई अलग ही साज़ है,
मानो हर दिल में बसा कोई गहरा सा राज़ है।

सुनो, क्या तुमने सुना? एक मीठी सी आवाज़ है,
हर दिल में छुपा एक बच्चे का अंदाज़ है।

तो क्यों अपने ही ख्वाबों पर खुद ही को ऐतराज़ है,
क्यों खुद के जज्बातों का ये गहरा सा एक राज़ है?



-


16 JUL 2022 AT 14:01

बिन तेरे बीती हर रात
अब ख़राब लगती है,
भरे महफिल में तेरी आवाज़
मीठी शराब लगती है।

लाल साडी में चलती हुई
तू खिलती गुलाब लगती है,
अब क्या कहूं तुझे की तू
कितनी लाजवाब लगती है।




-


9 JUL 2022 AT 12:25

अपना होकर भी ये गैरों का होता रहा ,
दिल भी मेरा ना जाने कब से है रोता रहा

मैं गैरों को खुद में, खुद को गैरों में ढूंढ़ता रहा ,
जाने किस किस के खातिर मैं खुद को ही खोता रहा


-


2 JUN 2022 AT 17:23

किसको अखिर खोज रहे हो?
जा चुका वो बरसों पहले
क्या अब तक उसे ढूंढ़ रहे हो?

हलात वो सारे भूल रहे हो
गया वो क्यों तुम सोच रहे हो
भूल बैठा है घर वो अपना
और उस्का रस्ता तुम देख रहे हो।

-


2 JUN 2022 AT 11:25

Le aao syahi,
Chalo lagaye hisaab,
Iss Ishq mein gunehgaar
Hain hum ya aap.

Hain jeete hum
Ya jeete aap,
Sach toh ye hai
Haare hum dono hain janaab.


-


1 MAY 2022 AT 11:21

वो जुल्फ ही क्या जो उल्झे ना हो
वो फूल ही क्या जो बिखरे ना हो
है पूर्णता की तलाश हम सबको लेकिन
वो कविता ही क्या जो अधूरी ना हो...

-


21 FEB 2022 AT 16:58

Raaten hain lambi,
Safar bhi lamba,
Suno, tum abhi se hi thak na jaana...
Baatein hain kayi,
Musafir bhi kayi,
Suno, tum yun hi kahin ruk na jaana...

-


2 JUL 2020 AT 21:04

बारिश की ये बूंदे चंचल
मन को यूँ पिघलाये पल पल
हर पल मानो साज़िश हो
कोई बीती रात की ख्वाईश हो

पत्तो की देखो ये हलचल
हवा से झूमे है यर पल पल
हर पल मानो साज़िश हो
एक भीगे दिल की ख्वाईश हो

मिट्टी अब जो होगी निर्मल
खुशबू आती है अब पल पल
हर पल मानो साज़िश हो
तुम्हे पाने की ख्वाईश हो


-


Fetching Dharana arora Quotes