वैसे देखा जाए तो भारत में कर्मकांडी और पाखंडी लोगों की कमी नहीं है इस लिए उच्च सत्ता पर अनपढ़ जाहिल गवार लोग ही बैठ पाते हैं जाहिल व कर्मकांडी लोगों की संख्या ज्यादा है इसलिए वे आसानी से वहा तक पहुंच पाते हैं क्योंकि कोई भी सत्ता पर बैठा व्यक्ति अगर धर्म, जाति की बात कर रहा है तो वह अवश्य ही मानसिक रूप से कलुषित है।
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अंधभक्त एक ऐसी प्रजाति है जो
भारत में थोक के भाव मिलते हैं।
कोरोना देवी की मूर्ति बनाई जा रही है।
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हर तीसरा न्यायाधीश किसी दूसरे न्यायाधीश
का चाचा या भतीजा है..350 परिवारों में
सीमित है हमारी न्याय व्यवस्था..जिसे हम
कोलेजियम सिस्टम कहते है..जहाँ एक जज
दूसरे जज को नियुक्त करता है और ऐसा
करने वाला भारत अकेला देश है!
न्यायपालिका की असलियत-
लॉक डाउन में मृत्यु भोज बिना
भी काम चल रहा है,बिना
गंगाजी जाये भी काम चल रहा
है, बिना मंदिर जाये भी काम
चल रहा है इसलिए यह उचित
अवसर है कि अब हमें इन
अंधप्रथाओ को पूर्णतया बंद
कर दिया जाना चाहिए।-
हमारे देश में लोग लाशें उठा
सकते हैं...
लेकिन अन्याय के खिलाफ
आवाज नहीं उठा सकते...-
"जो मर रहे हैं वो मुक्त हो रहे
हैं.." ऐसा कहना क्रूरता और
असंवेदनशीलता की हद है।
ऐसा कहने वाला भी जल्द ही
मुक्त हो जाए, इंसानियत के
लिए वही अच्छा है।-
गंगा में तैरती लाश ने कौवे से कहा..
कागा सब तन खाईयो,
चुन चुन खाईयो मांस।
दो नैना मत खाईयो,
मोहे अच्छे दिन की आस।-
"कचरे मे फेंकी रोटियां रोज
ये बया करती है,
"कि पेट भरते ही इंसान अपनी
औकात भूल जाता है।-
ना कहीं नर्क है और ना कही
स्वर्ग है
अशिक्षा,अज्ञानता,बीमारी
ही नर्क है
और उच्च-शिक्षा,
ज्ञान,सम्पन्नता,स्वास्थ्य ही
स्वर्ग है।-
अलग सोचने और काम करने
वालों को दूनिया पागल समझती
है, पर दुनिया यह नहीं जानती
कि काम में पागल होने वाले ही
इतिहास लिखते हैं।-