Dhara   (Dhara)
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Deeds decides destiny ✨
Joined 3 July 2020


Deeds decides destiny ✨
Joined 3 July 2020
9 HOURS AGO

फिर एक रोज अपनी सारी ख्वाहिशे समेट कर लूंगा,
खरीद कर एक पिंजरे वाला परिंदा रिहा कर दूंगा।

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14 HOURS AGO

पहले नादानी में नाराज हो कर उस,

शख्स के चले जाने के बाद कैसे,

घुट घुट कर कैसे जीते है कोई हमसे पूछे।

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27 APR AT 23:02

You will never understand the hell
I feel inside my head.

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27 APR AT 13:30

मुझको कही तन्हाई में ले जा मुर्शद !

करीबी, दूर के ये कितने लोग रूठे है मुझसे।

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27 APR AT 3:12

उसकी यादो का सैलाब आया है अब सहा नही जाता,
क्या गुजरती है मुझमे अब लफ्जो मे कुछ कहा नही जाता ।

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26 APR AT 22:17

अब थक चुके है ये कदम
चल घर चले मेरे हमदम।🤍

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26 APR AT 14:28

तुम....बस तुम...🤍

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26 APR AT 5:41

उम्र को हराना है तो शौख जिंदा रखिए,

चंद दोस्त रखिए मगर चुनिंदा रखिए।

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24 APR AT 21:47

सुनो मुर्शद ! ले चलो कहीं वादीयों में मुझे,

मेरे दर्द चीखने को ये गलियां काफी नही..!!

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24 APR AT 10:33

सुनो...नूर...

हर एक जरिया साजिश कर रहा है हमे मिलाने की,
अब तू बात ना करना मुझसे जुदा होने की,

तुम हो मेरी ला हासिल मुहोब्बत तेरी तलब उम्रभर की है,
में भी रूठी तू भी रूठा अब बात करके सारे मसले हल हों जाने दो ना।

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