Dhanwanti ranawat   (☺️Sumii😊)
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Joined 19 August 2019


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26 MAY AT 22:29

तू है प्रकृति की रूह

सूरज की किरणों में तेरा हँसता चेहरा,
बादलों में छुपा तेरा नाज़ुक सा पहरा।
चाँद की चुप्पी में तेरा सुकून बसा,
तारों की महफ़िल ने तुझे ही पढ़ा।

पर्वतों की ऊँचाई तेरे एहसास सी,
हवा की हर सरसराहट तेरे पास सी।
तू मिले तो मौसम भी गीत गाते हैं,
तेरे बिना ये नज़ारे भी थम जाते हैं।

✍️धनु

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8 MAR AT 7:32

उड़ान: नए आसमान की ओर

वो चाँद की रोशनी, सूरज की गर्मी,
दिल में जुनून, हौसला भी ज़रूरी।
सदियों से जो थी दबी हुई आवाज़,
आज वो बन गई एक बेमिसाल आवाज़।

घर से संसार तक अपनी छाप छोड़ी,
हर चुनौती को मुस्कुराकर मोड़ दी।
कभी बेटी, कभी माँ, कभी एक साथी,
हर रूप में रोशन, हर रूप में शक्ति।

कल जो थी छाया, आज है उजाला,
सपने हैं उनके, आसमान है निराला।
ना रोको, ना टोको, ना बंधन लगाओ,
उड़ान भरने दो, नए पंख उगाओ।

ये नया युग है, नई रोशनी का,
अब हर नारी है एक कहानी शौर्य की।
सलाम है उनको जो राह दिखाएँ,
जो खुद जलें और दुनिया सजाएँ!
Happy Women's Day! ✍️Dhanu






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3 MAR AT 21:33

मेरी नटखट परछाई

चलूं मैं आगे, ये दौड़ लगाए,
रुकूं जो मैं, तो पास न आए।

कभी लहराए, कभी सिमट जाए,
धूप संग खेल रचाए।

दीवारों पे रंग जमाए,
ज़मीन पे चुपचाप सो जाए।

शरारती, जिद्दी, पर मुस्काए,
मेरी परछाई, मुझको चिढ़ाए!

✍️धनु

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27 FEB AT 21:44

उसने ख़ुद को लिखा

कलम उठाई, कागज़ खोला,
लफ़्ज़ों में ख़ुद को पहली ओढ़ा।
बातें जो दिल में गहरी थीं,
अब हर सतर में ठहरी थीं।

लिखा उदासी का इक कोना,
फिर ख़ुशियों का रंग बिछोना।
दर्द की स्याही से चंद हर्फ़,
सपनों की रौशनी का ज़िक्र।

हर लफ्ज़ में था आईना सा,
झलक रही थी वो अकेला सा।
ख़ुद को पढ़ा, फिर समझ गया,
जो लिखा, वही असल मैं था।

✍️धनु

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26 JAN AT 10:25

26 January: Veer Ras Ki Prerna

Chhabbis January ka din hai pyara,Deshbhakti ka utsav hai nyara.
Tirange ke rangon ki shaan bani,Azadi ki kahani jahan bani.

Shaheedon ke balidan ko yaad karein,Apne veeron ka samman karein.
Jo chhod chale the sukh apne ghar ke,Apne desh ke liye jan diye mar ke.

Dharti ke is lalon ka karz hai,Unki kurbaniyon ka farz hai.
Dil mein junoon, aankhon mein aag thi,Har ek sipahi ek mahabhag thi.

Dushman ke samne sar uthake chale,Jahan tak chale, matti se gale.
Har har bolti thi dharti maayi,Veer jawano ki boli suni chaayi.

Chhabbis January ka din hai gurav,Swatantra Bharat ka hai ye prabhav.
Aao milkar pratigya karein,Apne desh ke liye jee bhar jiyen.

Tirange ke rangon mein rang jaayein,Har ek dhadkan Bharat ke gun gaayein.
Yeh mitti humse ye wada chahti hai,Veeron ki veerta ab hum mein bhi bahti hai.

Bolo Bharat Mata ki jai,Veer jawano ko pranaam karein bhai!
Chhabbis January ki shaan banayein,Deshbhakti ke sur sang chhayein!

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23 JAN AT 7:37

धीरे से तू आगे बढ़
कठिनाइयों का सामना कर
मन तू आगे बढ़
पीछे मुड़कर न मत देख
थोड़ा तो धीरज धर ।

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22 JAN AT 22:21

Dhanu Ki Dunia

Dhanu ka naam, ek kahani khaas,
Creative dimaag, ideas ka bhandaar paas.
Dimple waali muskaan, dilon ki shaan,
Joyful aur jolly, khushiyon ka tufaan.

Writer banaye alfaazon ke pull,
Sketch kare toh lage tasveer khud bol uthe full.
Foodie dil se, cooking mein hai maahir,
Har dish mein pyaar ka swad hai shamil.

Novels ke panne uska ghar hai,
Har kahaani mein ek sapna chhupa hai.
Engineer kehte the, wires ki jaan,
Ab research analyst, duniya pe pehchaan.

Helpful hai, sabka karti hai khayaal,
Caring si Dhanu, dil ka kamaal.
Khud ek kavita, ek kahani ajeeb,
Har pal mein uski duniya hai rangeen!

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1 OCT 2024 AT 2:09

आज फिर कुछ कोरे कागज़ पर लिख दिया गया
अपने बीते हुए पलों को याद किया गया
वक्त बीत रहा था
हवा के झोंके जैसा
उसको थामने के लिए
नए पलों को नए पलों के सामने
आज फिर नए वक्त का आगाज किया गया।
#धनु #

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9 DEC 2023 AT 20:09

सफर

चले आओ ट्रैन का सफर करते हैं
ठंडी हवाओं के झोकों पर अमल करते हैं
फिजाओं मे गूम न जाना तुम
वादियों का फिर से भर्मण करते हैं
यादों को दिल के तहखाने से निकालो
पिंजराबंद हैं उन यादो को पहचानों
अपने अल्फाज़ो पर नजऱ तो डालो
कोरे काग़ज पर फिर कुछ लिख डालो
अलफ़ाज़ तुम्हारे कलम तूम्हारी
शब्दों को अब मोहर दे डालो
महकती वादियों का सफर कर डालो
अपने पलों को यादगार बना डालो

Dhanwanti

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6 DEC 2023 AT 9:52


नारी

नारी तेरे रूप अनेक, तू उनमें सबसे नेक
दरिया तेरे भीतर हैं,जग में तेरे उल्लेख हैं
कभी माँ ,कभी बहिन और कभी दोस्त रूप में मिली हो
कभी कोमल ,तो कभी कठोर भाव दिखलाई हो
मुस्कान के पीछे कितने राज लिए बैठी हो
अंजान जग को फिर भी मुस्कान के साथ मिली हो
नया जीवन देने की शक्ति समायी हैं
जननी नाम से तुम इस जग में आई हो
स्वप्नों को उड़ान देने के अनोखे तरीके हो
नारी तू देश की खूबसूरत तोहफा हो ।


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