Naa jagao mujhe tum
mere ho tum mere is bhram ko bhram hi rhne do
Khud ko khud n kaho mujhe mai na kaho
Hume humesha hum hi rhne do
Alag hone ki baad ki khushiyaan
dikhti h mujhe bhi
Fir bhi tum sath raho mere,
meri aankhe num hi rhne do
mere is sukun bhare gum ko gum hi rhne do
Tum mat btao fayde alag hone ke Mujhe
Pata h mujhe b sth rhne k nuksaan jyda hain
Or sth rhne m milne vali khushiyaan kam
kam h inhe esa hi chor do, inhe kam hi rhne do
Nahi hona mujhe kisi se jyada
M khud m jyda hu ya kam hu
Mujhe nahi pata
Jyda hu to b thik, nhi hu to bhi kam hi rhne do
Naa jagao mujhe tum
mere ho tum mere is bhram ko bhram hi rhne do
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¶¶ Asaliyat €€
सजा दे ही रहे हो तो ये भी बता दे
आखिर मेरी खता क्या है।
मुझसे ज्यादा पता रहती है न खबर मेरी,
तो ये भी बता दे,हालत मेरी अभी क्या है।
सोच बैठा था कि जिन्होंने कुछ लोगों के,
साथ के लिए झुकते देखा पर झुकने न दिया आपने।
अब सोच भी नहीं पाता हूं कि क्यो हर रोज,
झुकने के मौके ला देते हैं सामने।
अब सच कहूं तो डर सा लगता है
किसी को भी ये अहसास दिलाने में,
कि उनके बिना जीना मुश्किल सा है।
क्योंकि दिल से आवाज आने लगी है,
अबे ऐसा सोचता है पागल सा है।
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मुझे
आज भी याद है,
मेरे जन्मदिन की वो लम्हा।
मुर्शद,
कि जिसको मैंने दुआओं में मांगा,
ये दुआ दे कर चला गया।
"तेरी हर दुआ,कुबूल हो"-
गुम हुये से लग रहे हो,
किसी के ख्यालों मे,ख्यालात किसके हैं।
किसी ने बड़ी कोशिश कर दिल दुखाया है तेरा,
इंतकाम ना लेना,बस पता कर,
आखिर इसके पीछे हाथ किसके हैं।
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तेरे लिये मोहब्बत ने हमें,
इतना कमजोर कर दिया।
सारी खुशियाँ सरका दीं,
तेरी तरफ मुस्कुराकर।
और सारे के सारे दर्द को,
अपनी ओर कर लिया।-
हो जाओ मेरे,
या फिर छोंड़ ही दो।
आ जाओ मेरे पास,
या जो मुझ तक आयें,
उन रास्तों को मोड़ ही दो।
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कुसूर ही सारा मेरा है,
हाल का मेरे,
मैं ही जिम्मेदार हूँ।
कुछ तो सच मे खराब है
तबीयत मेरी,
कुछ तेरे खफा होने से बीमार हू।
दोषी जो समझते हो मुझे,
तो बता दो,
मै तुम्हारी किस सजा का हकदार हूँ।-
हाँ माना कि हैं आखें भरी मेरी,
पर आसूं अभी छलके तो नहीं थे।
तुम्हारा कहना भी ठीक है अपनी जगह,
मगर इतनी आसानी से उड़ जायें,
मेरे जज्बात इतने भी हल्के तो नहीं थे।
खुली आँखों से देख रहा था,
तुम बोल सकते थे सच पहली ही दफा मे,
होठ खामोश थे माना,पर बन्द मेरी पलकें तो नहीं थे।
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देखो मन का दर्पण देखो।
जो मानते हैं तुम्हें अपना,
फिक्र करते हैं तुम्हारी,
तुम्हारे लिये उनका समर्पण देखो,
देखो मन का दर्पण देखो।
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" तेरा कर नहीं सकते। " वो तेरा क्लास मे कुछ न बोल पाना भी,
वो तेरा डर के सहम जाना भी,
अब मुझे तेरा कर नहीं सकते।
वो तेरी खामोश सी जुबान भी,
वो तेरी मीठी सी मुस्कान भी,
अब मुझे तेरा कर नहीं सकते।
वो तेरा खिड़कियों के बाहर झांककर गुम सा हो जाना भी,
वो तेरा फूलों से खेलना तितलियों से बतलाना भी,
अब मुझे तेरा कर नहीं सकते।
वो तेरी छोटी छोटी बातों पर नाराजगी भी,
वो तेरी सबमें होते हुये भी सबसे अलग सादगी भी,
अब मुझे तेरा कर नहीं सकते।
-"part 1"
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