भावनाएं V/s आत्मसम्मान
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जब भावनाएं इतनी बढ़ जाएं,
कि स्वाभिमान का तिरस्कार करें,,
फिर इस दिल और दिमाग के युद्ध में,
आखिर किस पर हम वार करें ?
क्या भावनाओं की बात सुनें,
और स्वाभिमान पे अत्याचार करें ?
या भावनाओं में न बहकर,
आत्मसम्मान को स्वीकार करें ???-
सच्चाई से जो लोग मेरे दिल को छुआ करते हैं,
वो हमेशा खुश रहें हम ये दुआ करते हैं,,
अपनेपन में जरूरी नहीं कि रोज बातें हों पाएं,
कभी-2 बिन बातों के भी लोग अपने हुआ करते हैं ।-
Some Colours of Happiness
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There were some colours of happiness in which I wanted to paint myself, but those colours did not like me and they flew away to paint the new world, well there are still some new colours, which give a lot of relief. I wish, that I could paint myself with these colours, but I am afraid that if I might not be able to paint myself from these colours, or if these colours don't like me too, then maybe I will lose again for the last time...-
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तकदीर की लिखावट से दिल को मनाना पढ़ता है,
कितना भी सच्चे हो पर सब दफनाना पड़ता है,
दिल लाख रो रहा हो अंदर से पर 🥺
किसी की खुशी के लिए आंसुओ को भी छुपाना पड़ता है ।-
# एक कठिन प्रार्थना 🥺 🎼
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किसी ने समझा पवित्र रिश्ते में,
और मैं सच्चे अपनेपन में खो गया,
पवित्रता ध्यान न देकर शायद,
मुझसे घोर महापाप में हो गया,
मेरे दिल की गहराइयों को भी, पवित्र रिश्ते से युक्त कर दो,
हे प्रभू सुन लो विनती मेरी, मुझे इक वरदान प्रयुक्त कर दो,,
खुदकुशी तो पाप है इस दुनियां में...फिर तो,
कोई हादसा देकर पवित्र रिश्ते के महापाप से मुक्त कर दो ।-
कुछ कविताएं अभी भी अधूरी हैं...
और शायद वो हमेशा के लिए अधूरी रह जायेंगी...
बिल्कुल मेरी तरह...🥺
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तुम्हारे बिछड़ने के दर्द को,
मैं कुछ इस कदर झेलूँगा,,
कितनी भी तकलीफ हो खुद को,
इस घुटन का जहर खुद ही पीलूंगा ।
कितना भी घुट जाऊं पर,
किसी से कुछ न बोलूंगा,,
अंदर से चाहे लाख रोऊं,
पर आंसुओं भरी आंखे न खोलूंगा ।
थोड़ा मुश्किल होगा मेरे लिए,
फिर भी ये सब झेलूंगा,,
इतने समर्पण के बाद भी नहीं समझा कोई,
तो इस घुटन में जिंदगी कैसे जीलूंगा ?
सोचा था कुछ दिन पहले,
कि चलो ये जिंदगी छोडूंगा,,
पर अपनों को तकलीफ में देख,
कैसे उनसे मुंह मोडूंगा ?
अपनी इस जिंदगी को,
भले रो रो कर जी लूंगा,,
कमजोर दिल तो बहुत हूं,
पर मैं पंखे से नहीं झूलूंगा ।🥺-
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टूटकर अपनेपन से कुछ ऐसे,
बस ये जिंदगी गुजार रहा हूं,,
नकारात्मकता में डूबकर धीरे धीरे,
सच कहूं तो जिंदगी से हार रहा हूं ।
🥺-
कहते हैं बस नेक दिल हो प्रेम के लिए,
फिर क्यों उन्हें मैं स्वीकार न हुआ,,
उन्हें औरों से कोई दिक्कत न थी,
बस मुझसे ही उन्हें प्यार ना हुआ ।
शकल, अमीरी, जात माइने नहीं रखता गर,
फिर क्यों वो मेरे लिए बेकरार न हुआ,,
जाने कौन सी कमी थी मेरे अपनेपन में,
कि उन्हें मुझपे कोई एतबार न हुआ ।
झूठ ही समझते हैं लोग प्रेम के लिए,
कि सच्चे दिल से बड़ा कोई यार न हुआ,,
पर शकल, अमीरी, जात के बगैर,
सच्चे प्रेम का भी कोई खरीददार न हुआ ।
मैंने तो नहीं कहा कभी,
कि मुझे उनका जाति धर्म स्वीकार न हुआ,,
काश कभी तो समझते मेरे समर्पण को,
शायद दिल का मैं इतना भी बेकार न हुआ ।🥺-