कितनी मिन्नतें की है दिल से,तू भी अब इस जहाँ में खो जाए।बस जरा सी साँसे और सही,ताकि तुझे भी अब प्यार हो जाए। -
कितनी मिन्नतें की है दिल से,तू भी अब इस जहाँ में खो जाए।बस जरा सी साँसे और सही,ताकि तुझे भी अब प्यार हो जाए।
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मोहब्बत की इस दुनियां में,बरसती नफ़रतों की बूंदें।बेवफ़ा इस जहाँ में,न जाने दिल किसे ढूँढे। -
मोहब्बत की इस दुनियां में,बरसती नफ़रतों की बूंदें।बेवफ़ा इस जहाँ में,न जाने दिल किसे ढूँढे।
बादलों से बूंदे बरस रही थीं,सारा जहाँ भीगा था।बरसती बूंदों में हम भी भीगे,दिल में मगर " सूखा" था। -
बादलों से बूंदे बरस रही थीं,सारा जहाँ भीगा था।बरसती बूंदों में हम भी भीगे,दिल में मगर " सूखा" था।
हां तनहा जरूर थे मगर ये रात साथ थीं,आसमान के तारों से हमें भी लगाव था,एक दिन तुमने कहां की वो तारें तुम्हें अच्छे लगते है,लगता है उनसे भी अब दुश्मनी हो गई हैं.. -
हां तनहा जरूर थे मगर ये रात साथ थीं,आसमान के तारों से हमें भी लगाव था,एक दिन तुमने कहां की वो तारें तुम्हें अच्छे लगते है,लगता है उनसे भी अब दुश्मनी हो गई हैं..
तू जो लकीरों में नही है फिर भी ये दिल जीता हैं।तेरे दिए गमों से ही तो जीने का हौसला आता हैं। -
तू जो लकीरों में नही है फिर भी ये दिल जीता हैं।तेरे दिए गमों से ही तो जीने का हौसला आता हैं।
कुछ बात तो हुई थी,ख़ामोशी तो दोनों तरफ थी,उन्होंने आंखों से कहीं थीं। -
कुछ बात तो हुई थी,ख़ामोशी तो दोनों तरफ थी,उन्होंने आंखों से कहीं थीं।
,तेरा अंधेरों से नाता क्यों हैं।है इश्क अगर मासूम,तो इतना सताता क्यों हैं।है शोर से भरी इसकी गलियां,तो ख़ामोशी में दिल रोता क्यों हैं। -
,तेरा अंधेरों से नाता क्यों हैं।है इश्क अगर मासूम,तो इतना सताता क्यों हैं।है शोर से भरी इसकी गलियां,तो ख़ामोशी में दिल रोता क्यों हैं।
आज फिर अंधेरों से घिरा होगा कोई, आज फिर किसी की जाम से,मुलाकात हुई होगी।आज फिर उदास हुआ होगा कोई,आज फिर अशिकों की गली में,मोहब्बत बदनाम हुई होगी । -
आज फिर अंधेरों से घिरा होगा कोई, आज फिर किसी की जाम से,मुलाकात हुई होगी।आज फिर उदास हुआ होगा कोई,आज फिर अशिकों की गली में,मोहब्बत बदनाम हुई होगी ।
है मंजिल अब करीब ,बस थोड़ा आसमान बाकी हैं ।अब रहम कर ए खुदा,बस थोड़ी सी जान बाकी हैं । -
है मंजिल अब करीब ,बस थोड़ा आसमान बाकी हैं ।अब रहम कर ए खुदा,बस थोड़ी सी जान बाकी हैं ।
माना की आपके जितना गहरा नहीं,मगर कुछ दर्द हमारे अंदर भी बाकी हैं।इस दिल का शहर बसाने की बात करते हो,अब तो बस "खंडहर" ही बाकी हैं। -
माना की आपके जितना गहरा नहीं,मगर कुछ दर्द हमारे अंदर भी बाकी हैं।इस दिल का शहर बसाने की बात करते हो,अब तो बस "खंडहर" ही बाकी हैं।